ब्रिजों के नीचे जलती आग से घट रही फ्लाईओवरों की आयु, मेयर ने जतायी चिंता
कोलकाता : शहर के विभिन्न फ्लाईओवरों की संरचनात्मक मजबूती पर अब खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। वजह है फ्लाईओवरों के नीचे रह रहे लोग, जो खाना पकाने के लिए रोजाना वहां आग जलाते हैं। यह आग न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक है, बल्कि फ्लाईओवर की उम्र और मजबूती को भी धीरे-धीरे खोखला कर रही है। कोलकाता नगर निगम के मेयर फिरहाद हकीम ने इस विषय पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा, 'फ्लाईओवर के नीचे लगातार आग जलाए जाने से पिलरों की संरचनात्मक मजबूती प्रभावित होती है। इससे उनकी उम्र घटती है और भविष्य में गंभीर हादसों की आशंका बढ़ जाती है।'
पिलरों पर पड़ रहा है थर्मल स्ट्रेस का असर
इंजीनियरिंग विशेषज्ञों के अनुसार, सीमेंट-कंक्रीट से बने फ्लाईओवर पिलर सामान्य तापमान के अनुसार डिज़ाइन किए जाते हैं। जब इनके नीचे बार-बार आग जलाई जाती है, तो पिलर की सतह पर तापमान में असंतुलन उत्पन्न होता है। इसे 'थर्मल स्ट्रेस' कहा जाता है, जिससे कंक्रीट में दरारें उत्पन्न हो सकती हैं और उसमें प्रयुक्त लोहे में जंग लगने की प्रक्रिया तेज हो सकती है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो किसी पुल की समयपूर्व विफलता (प्री मैच्योर स्ट्रक्चरल फेल्योर) भी हो सकती है।
जारी रहेगा फुटपाथ पर रहने वालों के स्थानांतरण का अभियान
केएमसी द्वारा फुटपाथों और फ्लाईओवरों के नीचे बसे लोगों को हटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इन्हें नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए होम शेल्टरों में स्थानांतरित करने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, मेयर ने स्वीकार किया कि कुछ लोग निगम की मदद लेने को तैयार नहीं हैं और बार-बार उसी स्थान पर लौट आते हैं। मेयर ने पुलिस से भी अपेक्षित सहयोग की मांग की। उन्होंने कहा, 'नगर निगम की कोशिशों के बावजूद यदि कुछ लोग सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं, तो पुलिस को आगे आकर उपयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए।'