निजी बस का हैंडल टूटने से गिरा, बसों के मेंटेनेंस पर फिर उठे सवाल

निजी बस का हैंडल टूटने से गिरा, बसों के मेंटेनेंस पर फिर उठे सवाल
Published on

कोलकाता : महानगर में रुक-रुक कर जारी बारिश के बीच अब बसों के मेंटेनेंस को लेकर फिर एक बार सवाल उठने लगे हैं। बस संगठनों का दावा है कि लगातार बारिश के कारण बसों के लोहे में जंग लग जा रही है। दरअसल, एक निजी बस का हैंडल अचानक टूटने के कारण एक व्यक्ति सड़क पर गिर गया जिससे उसे गंभीर चोटें आयी हैं। व्यक्ति का नसीब अच्छा था कि उस समय बस अधिक स्पीड में नहीं थी अन्यथा काेई गंभीर हादसा हाे सकता था। हालांकि इस घटना ने फिर एक बार बसों के मेंटेनेंस को लेकर सवाल खड़े कर दिये हैं।

क्या हुई घटना

एक निजी कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करने वाले बिप्लब कुमार साहा (56) ने गत बुधवार को नाइट ड्यूटी के बाद उत्तर 24 परगना के हाबरा में अपने घर जाने के लिए सुबह लगभग 8.30 बजे सियालदह स्टेशन के लिए एमजी रोड से 39ए/2 रूट वाली बस ली थी। बस सियालदह के करीब पहुंची तो उतरने के लिए बिप्लव गेट के करीब आ गया। उसने बताया कि उसने दाहिनी ओर का हैंडल पकड़ कर रखा था। इस दौरान बस रुकी और जैसे ही उसने बस से उतरने की कोशिश की तो बस अचानक चलने लगी। हालांकि बिप्लव ने हैंडल पकड़ रखी थी और उसने खुद को संभाल लिया। वह कुछ आगे उतरने के लिए गेट पर ही खड़ा था कि अचानक दाहिनी ओर का हैंडल टूट गया और बिप्लब हैंडल के साथ बस से नीचे सड़क पर जा गिरा। बस ड्राइवर उसे उसी तरह छोड़ बस को भगा ले गया। बिप्लब काे मुंह और आंखों के पास गंभीर चोट लगी थी। उसे स्थानीय लोगाें की मदद से ईएसआई मानिकतला में ले जाया गया।

जर्जर हालत वाली बसें चलायी जा रही हैं

आज सड़कों पर काफी संख्या में ऐसी हैं जो मेंटेनेंस के अभाव में लोगों की जान जोखिम में डालकर चलायी जा रही हैं। कुछ दिन पहले ही नदिया में एक घटना हुई जहां चलती बस का चक्का अचानक खुल जाने के कारण कई यात्री घायल हो गये थे। इस तरह बगैर मेंटेनेंस के जर्जर हालत वाली बसें क्यों चलायी जा रही हैं, इसे लेकर भी सवाल उठते रहते हैं, लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकलता।

यह है मेंटेनेंस का नियम

निजी बसों की मरम्मत अथवा रख-रखाव का काम बस मालिकों द्वारा ही करवाया जाता है। बसाें की फिटनेस ठीक है, यह निर्धारित करने के लिए परिवहन विभाग की ओर से सर्टिफिकेट ऑफ फिटनेस ली जाती है। नियम है कि पहले 8 साल की उम्र वाली बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट (सीएफ) 2 साल में एक बार लिया जाता है। वहीं 8 साल की उम्र पार कर जाने के बाद प्रत्येक साल सीएफ लेना होता है।

यह कहना है बस संगठन का

सिटी सबअर्बन बस सर्विसेज के महासचिव टीटो साहा ने बताया कि बसें चलाकर बस मालिकों का कोई लाभ नहीं हो रहा है। कई वर्षों से किराये में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी है। इस कारण बस मालिकों की आय काफी कम हो गयी है, ऐसे में कुछ बस मालिक मेंटेनेंस पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in