अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनेगा सुंदरबन

1,044 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के विस्तार के बाद सुंदरबन टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 3,600 वर्ग किलोमीटर से अधिक हुआ
रॉयल बंगाल टाइगर (फाइल फोटो)
रॉयल बंगाल टाइगर (फाइल फोटो)
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आंध्र प्रदेश का नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व है पहले स्थान पर

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : भारत सरकार ने पश्चिम बंगाल के सुंदरबन टाइगर रिजर्व क्षेत्र को 1,044 वर्ग किलोमीटर और बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस विस्तार के बाद सुंदरबन अब देश का दूसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन जाएगा। इससे पहले यह छठे स्थान पर था। अब इसका क्षेत्रफल बढ़कर 3,600 वर्ग किलोमीटर से अधिक हो गया है, जबकि आंध्र प्रदेश का नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व लगभग 3,700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और देश में पहले स्थान पर है। इस विस्तार के अंतर्गत साउथ 24 परगना फॉरेस्ट डिवीजन की तीन रेंज रैदिघी, माटला और रामगंगा को सुंदरबन टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया है।

अधिकारी ने यह कहा

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के सदस्य अधिकारी ने जानकारी दी कि इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल चुकी है। अब राज्य सरकार एक अधिसूचना जारी करेगी, जिसके बाद राज्य और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) तय करेंगे कि नए जोड़े गए क्षेत्र में से कितना हिस्सा कोर जोन और कितना बफर जोन में आएगा। पश्चिम बंगाल वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव की शुरुआत 2012-13 में हुई थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें तेजी आई और अंतिम प्रस्ताव एक महीने पहले केंद्र सरकार को भेजा गया था। पूर्व मुख्य वन्यजीव संरक्षक प्रदीप व्यास ने कहा कि दक्षिण 24 परगना के जंगलों को टाइगर रिजर्व में शामिल करने से प्रबंधन में सुधार होगा और वन कर्मचारियों को एक साझा संरचना के तहत काम करने का लाभ मिलेगा।

सुंदरबन क्षेत्र में कुल 101 बाघ हैं

अखिल भारतीय बाघ गणना रिपोर्ट के अनुसार, सुंदरबन क्षेत्र में कुल 101 बाघ हैं, जिनमें से 80 सुंदरबन टाइगर रिजर्व में और शेष दक्षिण 24 परगना डिवीजन में हैं। राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड के सदस्य जॉयदीप कुंडु ने कहा कि नए क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व में शामिल करने से संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा और केंद्र सरकार से अधिक फंडिंग भी प्राप्त हो सकेगी। यह कदम न सिर्फ बाघों के संरक्षण को मजबूत करेगा, बल्कि सुंदरबन के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को भी और अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा।

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