

कोलकाता : राज्य में संदिग्ध ड्रोन को रोकने के लिए अब राज्य पुलिस एंटी-ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम खरीदने की तैयारी में है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, खरीद प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसके लिए तकनीकी व वित्तीय दोनों तरह के टेंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं। उम्मीद है कि इस महीने के अंदर कंपनियों से निविदाएं जमा कराई जाएंगी और नए साल से पहले खरीद प्रक्रिया काफी आगे बढ़ जाएगी। कोलकाता पुलिस भी इस तकनीक को खरीदने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार एंटी ड्रोन सिस्टम को राज्य के वीवीवीआईपी लोगों की सुरक्षा में भी इस्तेमाल किया जाएगा।
तटीय इलाकों में निगरानी व सुरक्षा में होगा उपयोगी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कोलकात्ता के आसमान में कई संदिग्ध ड्रोन उड़ते देखे गए थे। पोर्ट क्षेत्र से उड़कर वे ड्रोन मैदान क्षेत्र तक आए थे, जहां पूर्वी सेना मुख्यालय और विक्टोरिया मेमोरियल जैसे संवेदनशील प्रतिष्ठान मौजूद हैं। अधिकारियों का कहना है कि राज्य पुलिस के लिए इससे भी अधिक संवेदनशील क्षेत्र दीघा और सुंदरबन जैसे समुद्र–तटीय इलाके हैं, जहां किसी जलयान से भी ड्रोन उड़ाया जा सकता है। प्रारंभिक चरण में इन क्षेत्रों में एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात करने पर विचार किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीदने के बाद इसको चलाने के लिए पुलिस के भीतर एक विशेष इकाई बनाई जाएगी। सिस्टम देने वाली कंपनी इन पुलिसकर्मियों को अलग से प्रशिक्षण भी प्रदान करेगी । पुलिस अधिकारियों का मानना है कि वर्तमान समय में दुश्मन पक्ष या देशविरोधी ताकतें जासूसी और हमले के लिए ड्रोन पर ज्यादा निर्भर हो गई हैं। यही कारण है कि महत्वपूर्ण और संवेदनशील प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए एंटी-ड्रोन तकनीक आवश्यक हो गई है। इस संबंध में नवान्न को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे अनुमति मिलने के बाद तुरंत टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई। शुरुआती तौर पर एक एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीदा जाएगा और उसके प्रदर्शन के आधार पर आगे और सिस्टम खरीदने पर निर्णय लिया जाएगा।
संदिग्ध ड्रोन के डिटेक्शन के साथ ही उसे निष्क्रिय करेगा नया सिस्टम
सूत्रों के अनुसार, यह एंटी-ड्रोन सिस्टम मुख्य रूप से दो भागों में काम करेगा। पहला, किसी अवांछित उड़ती वस्तु की पहचान करना और दूसरा, उसे निष्क्रिय कर देना। पहचान के लिए रडार, रेडियो वेब रिसीवर और सिस्टम कंट्रोलर का इस्तेमाल होगा जबकि निष्क्रिय करने वाले हिस्से में एक विशेष ‘गन’ होगी, जो गोली नहीं बल्कि रेडियो सिग्नल छोड़कर ड्रोन को असंतुलित कर देगी, जिससे वह सीधे नीचे गिर पड़ेगा। यह पूरा सिस्टम पोर्टेबल है, यानी इसे जरूरत के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकेगा। राज्य पुलिस को उम्मीद है कि इस नयी तकनीक से संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा और मजबूत होगी।