

कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार अब सरकारी कर्मचारियों के लंबित महंगाई भत्ता (डीए) देने की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, इसके लिए सरकार बाजार से ऋण लेने की योजना बना रही है, ताकि डीए की रकम का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि, इस विषय में अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन नवान्न सूत्रों का कहना है कि डीए के मद में कुल देनदारी लगभग 10 से 11 हजार करोड़ रुपये की है। इतनी बड़ी राशि राज्य के कोषागार पर भारी असर डाल सकती है। वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बाबत प्राथमिक स्तर पर चर्चा शुरू कर दी है और संभावित कर्ज राशि तथा उसकी शर्तों को लेकर मंथन चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समक्ष रखा जाएगा और अंतिम निर्णय उन्हीं के स्तर से लिया जाएगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर डीए मामले में लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसकी समय सीमा 16 जून को समाप्त हो चुकी है। हालांकि राज्य सरकार ने हाल ही में एक 'मॉडिफिकेशन पिटीशन' दायर कर दी है, जिससे पहले की लिखित रिपोर्ट की आवश्यकता अप्रासंगिक हो गई है। अब राज्य सरकार 30 जून तक डीए के 25% हिस्से के वितरण की दिशा में सक्रियता दिखा रही है। राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारियों की निगाहें अब राज्य सरकार की इस पहल की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर टिकी हुई हैं।