Kolkata Update : 50 से अधिक की स्पीड पर कोलकाता में नहीं चला सकेंगे वाहन

Kolkata Update : 50 से अधिक की स्पीड पर कोलकाता में नहीं चला सकेंगे वाहन
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कोलकाता : सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ने से राज्य सरकार वाहनों की स्पीड को लेकर चिंतित है। परिवहन विभाग की ओर से स्पीड मैनेजमेंट और स्पीड लिमिट साइनेज संबंधी गाइडलाइन जारी की गयी है। विभाग के प्रधान सचिव डॉ. सौमित्र मोहन की ओर से जारी गाइडलाइन में बताया गया है कि वाहनों की अधिकतम स्पीड कहां, कितनी होनी चाहिये। कोलकाता में वाहनों की ​अधिकतम स्पीड 50 कि.मी. प्रति घण्टे तय की गयी है। डेडिकेटेड लेन पर अगर बसों के लिए अलग स्पीड लिमिट करना संभव नहीं है तो सभी वाहनों के लिए स्पीड लिमिट कम कर 20 कि.मी. प्रति घण्टे की जा सकती है। अधिकतर दुर्घटनाओं में वाहनों की तेज रफ्तार ही हादसे के कारण के तौर पर सामने आ रही है। सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट कमेटी ने राज्य सरकार को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार का निर्देश दिया था ताकि प्रत्येक साल सड़क दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या कम से कम 10% कम की जा सके। ऐसा कर वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या आधी करने का लक्ष्य है। कार्यान्वयन की निगरानी के लिए, सरकार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (यातायात और सड़क सुरक्षा) की अध्यक्षता में एक अंतर-विभागीय समिति बनाई है और इसमें परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य और लोक निर्माण सहित कई विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह समिति सुनिश्चित करेगी कि दिशा-निर्देशों को पूरे राज्य में प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। राज्य सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा तैयार किए गए उपाय सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती दर को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करते हैं। अधिसूचना में सुरक्षित सड़कें बनाने में उचित संकेत, स्पष्ट क्षेत्र और समय-समय पर समीक्षा की भूमिका पर जोर दिया गया है।

शहरी इलाकों में ऐसी होनी चाहिये अधिकतम स्पीड

शहरी सड़कों के सेगमेंट्स जैसे कि आवासीय इलाके, मार्केट इलाके, स्कूल जोन आदि अथवा जहां से राहगीरों व अन्य नॉन मोटराइज्ड रोड यूजर्स का आना-जाना अधिक हो, सिग्नल कंट्रोल्ड अथवा अनकंट्रोल्ड इंटरसेक्शन पर वाहनों की अधिकतम स्पीड 30 कि.मी. प्रति घण्टे और स्कूल जोन के लिए 25 कि.मी. प्रति घण्टे होनी चाहिये। अन्य स्थानों जहां अधिकतम गति 30 कि.मी. प्रति घण्टे आवश्यक नहीं है मगर जो इलाके 50 कि.मी. की स्पीड रडार में नहीं आते, वहां वाहनों की अधिकतम गति 40 कि.मी. प्रति घण्टे होनी चाहिये। सिग्नल्स की स्पेसिंग उच्च है और ऑन स्ट्रीट पार्किंग जहां नहीं है, वहां अधिकतम स्पीड 50 कि.मी. प्रति घण्टे होनी चाहिये।

हाइवे के पास भीड़भाड़ इलाकों में अधिकतम स्पीड 30 कि.मी.
हाइवे जहां मार्केट इलाके, दुकानें, स्कूल, आवासीय इलाके, अस्पताल, सेमी-अर्बन डेवलपमेंट आदि स्थानों के पास सभी वाहनों की अधिकतम स्पीड 30 कि.मी. प्रति घण्टे तय की गयी है। हालांकि स्कूल जोन के पास अधिकतम गति 25 कि.मी. प्रति घण्टे तय की गयी है। इसके अलावा सड़कों के किनारे असुर​क्षित तरीके से बाइसाइकिल सवार जहां से जाते हैं अथवा ऑटो/टेम्पो/टोटो/छोटे कॉमर्शियल वाहन दूसरे वाहनों जैसे कि कार, ट्रक और बसों के साथ गुजरते हैं, वहां वाहनों की अधिकतम स्पीड 40कि.मी. प्रति घण्टे तय की गयी है। गांवों को जोड़ने वाले छोटे जंक्शन, बस स्टॉप अथवा राइट टर्न वाहनों, राइट टर्न वाहनों के लिए नो स्टोरेज लेन (विभाजित कैरेजवे पर लागू) अथवा जहां 10% से अधिक मोटरसाइकिल अन्य वाहनों के साथ चलते हैं, वहां अधिकतम स्पीड 50 कि.मी. प्रति घण्टे होनी चाहिये। ग्रामीण अविभाजित सड़काें के सेगमेंट्स पर कार, बसों, ट्रकों की अधिकतम स्पीड 60 कि.मी. प्रति घण्टे व मोटर साइकिल व स्लो मूविंग ह्वीकल्स के लिए स्पीड 50 कि.मी. प्रति घण्टे तय की गयी है। विभाजित सड़कों के डुअल कैरेजवे सेगमेंट्स जहां सड़कों की गुणवत्ता काफी अच्छी हो और 5 कि.मी. तक कोई बाधित सेगमेंट ना हो, राहगीरों व बाइसाइकिल सवाराें का आना – जाना ना हो, वहां कार/बस/ट्रकों की स्पीड 80 कि.मी. अथवा उससे अधिक हो सकती है।

यह कहा मंत्री ने
'ड्राइवरों के हाथों में स्टियरिंग होती है। अगर वह स्पीड को नियंत्रित रखे तो काफी दुर्घटनाएं कम की जा सकती हैं अथवा दुर्घटनाओं में नुकसान को भी कम किया जा सकता है। ऐसे में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में स्पीड मैनेजमेंट काफी सहायक होगा।'
– स्नेहाशिष चक्रवर्ती, परिवहन मंत्री

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