

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोलकाता एयरपोर्ट ने शुक्रवार को अत्याधुनिक स्मार्ट विजुअल डॉकिंग गाइडेंस सिस्टम (एस-वीडीजीएस) को आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है। यह प्रणाली टैक्सीवे से विमान को ऐप्रन के पार्किंग बे में मौजूद सटीक स्टॉप पोजीशन तक मार्गदर्शन देती है, जिससे पार्किंग की सटीकता, सुरक्षा और टर्नअराउंड दक्षता में उल्लेखनीय सुधार होता है। लगभग एक साल तक गहन परीक्षण के बाद स्मार्ट डॉक एआई नामक यह लेज़र-आधारित प्रणाली लाइव हुई है। कोलकाता देश का दूसरा एयरपोर्ट बन गया है, जहां पुणे के बाद यह उन्नत डॉकिंग समाधान लागू किया गया है।
स्वदेशी तकनीक, उच्च सुरक्षा और स्मार्ट ऑटोमेशन
एम/एस इनक्सी द्वारा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के सहयोग से विकसित इस स्वदेशी तकनीक में ऑप्टिकल, थर्मल और इन्फ्रारेड कैमरों का उपयोग किया गया है, जो विमान को टैक्सीवे से सटीक स्टॉप पोजीशन तक मार्गदर्शित करते हैं। पुरानी प्रणाली की तुलना में यह एआई -संचालित तकनीक किसी भी बाधा जैसे ग्राउंड व्हीकल्स को तुरंत पहचान कर जरूरत पड़ने पर आपातकालीन रोकने के निर्देश भी जारी कर सकती है।
ऑटोमेशन से बढ़ी दक्षता और कम हुआ टर्नअराउंड टाइम
कोलकाता एयरपोर्ट के निदेशक प्रवत रंजन बेउरिया ने बताया, “यह प्रणाली विमान की शेड्यूलिंग, डॉकिंग और बिलिंग को स्वचालित बनाती है, साथ ही एयरसाइड सुरक्षा को भी बेहतर करती है। इससे टर्नअराउंड टाइम घटता है और ऐप्रन की गतिविधियों की रियल-टाइम निगरानी संभव होती है।” यह स्मार्ट डॉकिंग सिस्टम अब एकीकृत टर्मिनल बिल्डिंग से सटे 47 पार्किंग स्टैंड्स पर सक्रिय हो चुका है, जिससे पहले 25 गेट्स पर स्थापित पुरानी प्रणाली को पूरी तरह बदल दिया गया है। पुराने सिस्टम खराब मौसम, जैसे बारिश या कोहरे में प्रभावी नहीं होते थे, जबकि स्मार्ट डॉक एआई हाई-रेजोल्यूशन, ट्रू-कलर डिस्प्ले और लंबी दूरी की डिटेक्शन क्षमता से पायलटों को स्पष्ट निर्देश देता है।
कठिन मौसम में भी भरोसेमंद, और भारतीय हवाई अड्डों के लिए आदर्श
यह प्रणाली अत्यधिक वर्षा, धूल, बर्फ या कोहरे जैसे चुनौतीपूर्ण मौसम में भी निर्बाध रूप से काम करती है। इसके अलावा, यह अन्य एयरपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम्स के साथ इंटीग्रेट होकर विमान शेड्यूलिंग, सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन, बिलिंग और गेट उपयोग की ट्रैकिंग को भी स्वचालित बनाता है। एक बड़ा लाभ यह है कि यह ‘मेड इन इंडिया’ समाधान कम रखरखाव की मांग करता है और इसके स्पेयर पार्ट्स स्थानीय रूप से उपलब्ध हैं, जिससे अन्य हवाई अड्डों पर इसे लागू करना आसान और किफायती हो जाता है।
पायलटों को मिली आत्मनिर्भरता, संचालन में तेजी
यह प्रणाली पायलटों को खुद से विमान पार्क करने की सुविधा देती है, जिससे मैन्युअल मार्गदर्शन पर निर्भरता घटती है, टैक्सीवे पर भीड़ कम होती है और डॉकिंग प्रक्रिया तेज होती है। स्मार्ट डॉक एआई न केवल विमान की पार्किंग को आसान बनाता है, बल्कि इसके जरिए बोर्डिंग, बैगेज हैंडलिंग और रीफ्यूलिंग जैसी गतिविधियों को भी कुशलतापूर्वक जोड़ा जा सकता है। इससे एकत्रित डेटा एयरलाइनों और एयरपोर्ट ऑपरेटर्स के लिए बेहद मूल्यवान साबित होता है। एक अधिकारी ने कहा, “यह एक स्मार्ट सिस्टम है जो सिर्फ विमान को नहीं, बल्कि उससे जुड़े पूरे ऑपरेशन को दिशा देता है।”