

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : विदेश से लौटने वाले यात्रियों के लिए इमिग्रेशन प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने के लिए देश के प्रमुख एयरपोर्ट पर ‘फर्स्ट ट्रैक इमिग्रेशन स्मार्ट गेट’ सिस्टम की शुरुआत की गई थी। इस सुविधा का उद्देश्य था कि यात्री लंबी लाइनों से बचकर सीधे अपने दस्तावेज स्कैन कर स्मार्ट गेट से बाहर निकल सकें। लेकिन कोलकाता एयरपोर्ट पर यह हाईटेक सुविधा लगभग बेकार पड़ी है।
कोलकाता एयरपोर्ट प्रशासन के अनुसार, रोजाना करीब 2,000 अंतरराष्ट्रीय यात्री आते-जाते हैं, लेकिन स्मार्ट गेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या मुश्किल से 20 तक पहुँचती है। एमिरेट्स जैसी बड़ी एयरलाइन के अकेले लगभग 1,000 यात्री रोजाना कोलकाता से सफर करते हैं, इसके बावजूद यह तकनीक लोकप्रिय नहीं हो पाई।
एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक, यह सुविधा केवल उन्हीं यात्रियों के लिए उपलब्ध है जिन्होंने पहले से गृह मंत्रालय की वेबसाइट ftittp.mha.gov.in पर रजिस्ट्रेशन किया हो। रजिस्ट्रेशन के दौरान पासपोर्ट, फोटो और एड्रेस प्रूफ जैसे दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं। फिर या तो एयरपोर्ट या नजदीकी एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय) में जाकर बायोमेट्रिक (फिंगरप्रिंट) देना होता है।
रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया में लगभग 10 दिन लगते हैं। एक बार रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाने पर, यात्री अगले 5 साल तक स्मार्ट गेट का इस्तेमाल कर सकते हैं (यदि पासपोर्ट की वैधता बनी रहे)। लेकिन यह लंबी प्रक्रिया यात्रियों के लिए बाधा बन रही है, खासकर उन लोगों के लिए जो बार-बार विदेश यात्रा नहीं करते।
व्यापारिक कारणों से नियमित रूप से बैंकॉक और दुबई आने-जाने वाले 'करियर' यात्री (जो सामान ले जाते और लाते हैं) भी इस सुविधा से दूरी बनाए हुए हैं। उनका कहना है कि स्मार्ट गेट के लिए जरूरी बैकग्राउंड वेरिफिकेशन और पहले से मौजूद कस्टम्स की पूछताछ उन्हें और परेशानी में डाल सकती है, इसलिए वे इस झंझट में नहीं पड़ना चाहते।
स्मार्ट गेट पर रजिस्ट्रेशन किए हुए यात्री को बस अपना बोर्डिंग पास और पासपोर्ट स्कैन करना होता है, और गेट खुल जाता है – ठीक वैसे जैसे मेट्रो में स्मार्ट कार्ड से गेट खुलता है। इसके बाद एक कैमरा फोटो खींचता है और बायोमेट्रिक मिलान करता है। मिलान सफल होते ही दूसरा और अंतिम गेट खुलता है।
कोलकाता में जनवरी में उद्घाटन के बाद मार्च से यह सुविधा चेन्नई, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोचीन और अहमदाबाद में भी शुरू हो चुकी है। इन शहरों में रजिस्ट्रेशन की संख्या और उपयोग दोनों ज्यादा हैं। कोलकाता एयरपोर्ट पर कुल 8 स्मार्ट गेट (आगमन और प्रस्थान मिलाकर) लगाए गए हैं, लेकिन अब भी यह तकनीक यात्रियों के बीच लोकप्रिय नहीं हो पाई है।