विधाननगर : सॉल्ट लेक स्टेडियम में शनिवार को लियोनेल मेसी के कार्यक्रम के दौरान हुई तोड़फोड़ के मामले में रविवार को विधाननगर कोर्ट ने स्पोर्ट्स प्रमोटर शताद्रु दत्ता को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। अदालत में शताद्रु दत्ता की यह दलील खारिज कर दी गई कि वह भीड़ की हिंसा का शिकार थे और घटना से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ।
सरकारी वकील ने 10 प्वाइंट तर्क से किया जमानत का विरोध
राज्य सरकार की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कोर्ट में 10-पॉइंट तर्क पेश किये गये। सरकारी वकील अमिताभ लाला ने कहा कि दत्ता की हिरासत घटना की योजना, क्रियान्वयन और वित्तीय लेन-देन की जांच के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि मेस्सी के शो के दौरान स्थिति तब बिगड़ी जब फुटबॉल स्टार भीड़ और अधिकारियों के घेरे में परेशान नजर आए और 22 मिनट में स्टेडियम से चले गए। मेस्सी की एक झलक तक न देखने पर गुस्साए फैंस ने तोड़फोड़ की और पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया। शताद्रु दत्ता के वकील द्युतिमान भट्टाचार्जी ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल सिर्फ इवेंट मैनेजर हैं और भीड़ की हिंसा के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराए जा सकते। उनका तर्क था कि दत्ता भी इस घटना से पीड़ित हैं और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ। हालांकि, अमिताभ लाला ने अदालत में कहा कि दत्ता सीधे तौर पर मेस्सी तक पहुंच और दर्शकों के सुरक्षित अनुभव के लिए जिम्मेदार थे। उनकी लापरवाही और निर्देशहीनता के कारण भीड़ में गुस्सा भड़क गया और स्थिति हिंसा में बदल गई।
कोर्ट ने सरकारी पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए दत्ता को पुलिस हिरासत में भेज दिया। उन पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज है, जिनमें हिंसा भड़काने, शरारत, गंभीर चोट पहुंचाने, सरकारी कर्मचारी पर हमला और उकसाने जैसे आरोप शामिल हैं। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल सार्वजनिक व्यवस्था अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान रोकने वाले कानून के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।
अदालत के बाहर लोगों ने किया प्रदर्शन
सुनवाई के दौरान शताद्रु दत्ता को मयूख भवन कोर्ट परिसर में लाया गया। वहां मौजूद लोग "चोर चोर" के नारे लगा रहे थे। काले हुड वाले स्वेटशर्ट और जींस पहने शताद्रु दत्ता का चेहरा सफेद तकिए के कवर से ढका हुआ था और चश्मा पहना हुआ था। कोर्ट में पेशी के दौरान दत्ता काफी बेचैन दिखे। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट निशान मजूमदार ने 14 दिन की पुलिस हिरासत का आदेश सुनाया, जिसके बाद दत्ता फर्श पर बैठ गए और घबराहट जाहिर की। जब उन्हें बाहर ले जाया गया, तो उन्होंने पुलिस गाड़ी में चुपचाप बैठना ही उचित समझा।