

कोलकाता : "संतों का जीवन स्थिर और आत्मिक शांति से परिपूर्ण होता है, क्योंकि वे ब्रह्मज्ञान के माध्यम से निरंकार प्रभु को अपने हृदय में बसाए रखते हैं। जीवन के उतार-चढ़ाव या सुख-दुख की परिस्थितियाँ उन्हें विचलित नहीं कर सकतीं।" यह प्रेरणादायक संदेश निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पश्चिम बंगाल प्रांतीय निरंकारी संत समागम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
यह भव्य आयोजन मौजा-तारदह कपासाटी, दक्षिण 24 परगना, कोलकाता में आयोजित हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने सतगुरु माता जी के दिव्य प्रवचनों से आत्मिक लाभ प्राप्त किया।
इस दो दिवसीय समागम में कोलकाता के अलावा बर्द्धमान, आसनसोल, असम, धनबाद, झारखंड, बोकारो सहित कई जिलों से श्रद्धालु पहुंचे।
सतगुरु माता जी ने अपने प्रवचनों में प्रेम, करुणा और संवेदनशीलता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें अपने विचारों में दूसरों के हित को भी स्थान देना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि नकारात्मक सोच को त्यागकर, स्नेह, नम्रता और प्रेमभाव से जीवन व्यतीत करें।
इस अवसर पर सत्कार योग्य निरंकारी राजपिता रमित जी ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित कर संतों की विशेषताओं का जिक्र करते हुए कहा कि संत प्रेम, सेवा और करुणा के प्रतीक होते हैं, जो समाज में सद्भाव और आध्यात्मिकता का प्रकाश फैलाते हैं।
समागम के पूर्व सेवादल के जवानों ने एक विशेष रैली का आयोजन किया जिसमें उन्होंने शारीरिक व्यायाम, सेवा प्रदर्शन और अन्य गतिविधियों के माध्यम से समर्पण और अनुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सेवा को भक्ति का शाश्वत साधन बताया गया।
इस समागम में पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री श्री सुजीत बोस सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया और सतगुरु माता जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल की माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से भी शुभकामनाएँ प्रेषित की गईं।
निसंदेह, यह संत समागम भक्ति, सेवा और सद्भाव का अद्भुत संगम बनकर हजारों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणास्रोत सिद्ध हुआ।