सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : 10 करोड़ की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के मामले में सीजीएसटी की टीम ने एक व्यवसायी को गिरफ्तार किया है। इन दिनों में इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है जहां व्यवसायी केन्द्र सरकार को चूना लगाने के लिए आईटीसी की चोरी कर रहे हैं। इसके लिए बोगस कंपनियों का सहारा लिया जा रहा है। इस मामले में डलहौजी के मेंगो लेन इलाके के मोटर वेहिकल पार्ट्स के एक्सपोर्टर के यहां तलाशी अभियान चलाया गया। इसमें अधिकारियों को अहम दस्तावेज मिले।
अस्तित्वहीन कंपनियों से लेनदेन दिखाया गया था
इस मामले में जीएसटी की टीम ने जब छापामारी की तो पाया गया कि इन्होंने ऐसे कंपनियों से लेनदेन दिखाया था जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। यानी कि वे फर्जी कंपनियां थी। इसके बाद गिरफ्तार व्यवसायी को दस्तावेजों के साथ कोर्ट में पेश किया गया जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने यह दलील दी कि आरोपी किसी भी प्रकार से इस कथित अपराध में शामिल नहीं है, इसलिए उसे हिरासत में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि आरोपी पर कोई प्रत्यक्ष आरोप नहीं बनता क्योंकि वह उस आरोपी कंपनी से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं है, बल्कि उसके पिता उस कंपनी के प्रोपराइटर हैं। अतः यदि उसके पिता के विरुद्ध कुछ है भी तो उसके कारण उसे सजा नहीं दी जा सकती।
जीएसटी के वकील ने कोर्ट को यह बताया
जीएसटी विभाग के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। उनके अनुसार, आरोपी द्वारा की गई कर चोरी और लाभ की कुल राशि 10.03 करोड़ से अधिक है। इस मामले में जांच चल रही है और सही व निष्पक्ष जांच के लिए आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा जाना आवश्यक है, ताकि उसे वहां पूछताछ के लिए उपलब्ध रखा जा सके। उन्होंने कहा कि भले ही आरोपी केवल प्रोपराइटर का पुत्र है, लेकिन प्रोपराइटर की वृद्धावस्था के कारण आरोपी ही कंपनी के दैनिक कार्यों का संचालन करता है और इस तरह वह जिम्मेदार है। अभिलेख और केस डायरी का अवलोकन किया गया। राज्य द्वारा दायर अग्रेषण पत्र में उल्लिखित ₹10.03 करोड़ की कर चोरी प्रथम दृष्टया सत्य प्रतीत होती है। यह गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में है। चूंकि जांच जारी है, अतः जांच एजेंसी को इस मामले में वास्तविक कर चोरी की राशि का पता लगाने के लिए पूर्ण अवसर दिया जाना चाहिए। दोनों ओर के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी और अभियुक्त को जेल हिरासत में भेज दिया।