

सतीश, सन्मार्ग संवाददाता
हुगली : चंदननगर की विश्वविख्यात जगद्धात्री पूजा की विसर्जन शोभायात्रा में इस बार भी अनोखा दृश्य देखने को मिला। परंपरा के अनुसार, शाम से शुरू होने वाली शोभायात्रा में शामिल नहीं होने वाले समितियां दोपहर में ही प्रतिमा विसर्जन के लिए निकल पड़ती हैं। विसर्जन से पूर्व मंडपों में देवी का वरण, महिलाओं द्वारा सिंदूर खेला और ढाक-ढोल की थाप के बीच विशाल प्रतिमाओं को गंगा घाट तक ले जाया जाता है। चंदननगर रेलवे स्टेशन के पश्चिमी हिस्से में आयोजित कई पूजा समितियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रतिमा को स्टेशन के सबवे से पार कराना होती है, जो विशाल आकार के कारण असंभव है। स्टेशन के पूर्वी हिस्से में गंगा होने से पश्चिमी इलाके की प्रतिमाओं को नदी तक पहुंचाना कठिन हो जाता है। शनिवार की दोपहर साढ़े ग्यारह बजे सुभाषपल्ली उत्तरपाड़ा बारोवारी पूजा समिति के सदस्यों ने अपनी प्रतिमा को बांस के खांचे में बांधकर रस्सियों की मदद से कंधे पर उठाया और रेलवे लाइन पार की।
हावड़ा-बर्दवान रेलखंड पर अनोखा नज़ारा
हावड़ा-बर्दवान मुख्य रेलखंड पर सोमवार को कुछ समय के लिए ट्रेन सेवाएं रोक दी गईं। यह कदम सुरक्षा के मद्देनज़र उठाया गया, जब एक विशाल प्रतिमा को रेलवे लाइन पार कराना था। दुर्घटना से बचाव के लिए ओवरहेड वायर की बिजली अस्थायी रूप से काट दी गई।प्रतिमा पार कराने की प्रक्रिया पूरी तरह सावधानीपूर्वक की गई। रेललाइन पार करने के बाद प्रतिमा को एक लॉरी पर रखा गया। इस अनोखे दृश्य को देखने के लिए स्टेशन और पटरियों के आसपास भारी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई। भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेवड़ाफुली जीआरपी थाना प्रभारी प्रद्युत घोष स्वयं पुलिस बल के साथ मौजूद थे। उन्होंने हैंड माइक के ज़रिए लोगों से दूरी बनाए रखने और सतर्क रहने की अपील की। क्षेत्र को रस्सी से घेर कर सुरक्षा घेरा बनाया गया था। इस दौरान आरपीएफ जवानों ने भी जीआरपी के साथ सक्रिय सहयोग किया। प्रतिमा को सुरक्षित रूप से पार करा लेने के बाद रेल सेवाएं तुरंत बहाल कर दी गईं। पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई, जिससे यात्रियों और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली।