पद्मश्री से सम्मानित समाजसेविका बिमला पोद्दार का निधन

पद्मश्री से सम्मानित समाजसेविका बिमला पोद्दार का निधन

भारतीय सांस्कृतिक विरासत की थीं संरक्षिका
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कोलकाता : प्रसिद्ध समाजसेविका, उद्यमी और परोपकारी कार्यों में समर्पित बिमला पोद्दार का गत 14 मई 2025 को निधन हो गया। वे 88 वर्ष की थीं। बिमला पोद्दार ज्ञान प्रवाह की संस्थापक थीं, एक ऐसा सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र जो भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित है। वाराणसी में स्थित यह संस्था भारतीय कलाओं, परंपराओं और शिल्पों के संरक्षण के लिए कार्य करती है।

भारतीय संस्कृति की जीवित धरोहर

बिमला पोद्दार का जन्म 28 अगस्त 1936 को वाराणसी में हुआ था। उन्होंने भारतीय संस्कृति को न केवल समझा, बल्कि उसे संजोने और विश्व मंच पर प्रस्तुत करने का भी कार्य किया। ज्ञान प्रवाह के अंतर्गत उन्होंने एक विरासत संग्रहालय की स्थापना की, जिसमें प्राचीन भारतीय कलाकृतियों और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित किया गया है।

व्यापारिक पृष्ठभूमि और सामाजिक प्रतिबद्धता

वे एक समृद्ध व्यावसायिक परिवार की बहू थीं और उनके पति दिवंगत बिमल कुमार पोद्दार के साथ उन्होंने कई पारिवारिक व्यावसायिक उपक्रमों में अहम भूमिका निभाई। बिमला पोद्दार कई प्रतिष्ठित कंपनियों की निदेशक भी रहीं, जिनमें अंबुजा सीमेंट्स भी शामिल है।

पद्मश्री से सम्मानित

भारतीय संस्कृति और समाज सेवा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2015 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।

उनके निधन पर सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक जगत से जुड़े लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। वाराणसी ही नहीं, पूरे देश ने एक सच्ची सांस्कृतिक साधिका को खो दिया है।

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