

कोलकाता : एक असाधारण मिसाल पेश करते हुए कोलकाता के एक 65 वर्षीय वृद्ध के परिजनों ने उनके ब्रेन-डेड घोषित होने के बाद अंगदान करने का फैसला लिया। इस मानवीय निर्णय से तीन गंभीर रूप से बीमार मरीजों को नया जीवन मिला और एक दुखद क्षण प्रेरणा का स्रोत बन गया। सुब्रत भट्टाचार्य ऊंचाई से गिरने के कारण घायल हो गए थे। उन्हें उल्टी में रक्त आने की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, डॉक्टरों के काफी प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन-डेड घोषित कर दिया। परिजनों ने संकट की इस घड़ी में भी संयम और संवेदना का परिचय देते हुए उनके अंगों को दान करने की स्वीकृति दी। इस प्रक्रिया के दौरान, मणिपाल अस्पताल ईएम बाईपास में मरीज के अंगों को चिकित्सा मानकों के अनुसार संरक्षित रखा गया। विशेषज्ञों की देखरेख में अंगों का रिट्रीवल किया गया और उन्हें जरूरतमंद मरीजों तक पहुँचाया गया।
उनका लिवर अपोलो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में इलाजरत एक 50 वर्षीय मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। मरीज की एक किडनी आरएन टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज में भर्ती 43 वर्षीय मरीज को प्रत्यारोपित की गई, जबकि दूसरी किडनी मणिपाल हॉस्पिटल, मुकुंदपुर में इलाजरत 55 वर्षीय महिला मरीज को दी गई। क्रिटिकल केयर विभाग के निदेशक डॉ. तन्मय बनर्जी ने कहा, 'ब्रेन-डेड डोनर के अंगों को संरक्षित रखना एक अत्यंत संवेदनशील और तकनीकी प्रक्रिया होती है। प्रत्येक घंटे की देखभाल, वेंटिलेशन, ऑर्गन फंक्शन और सर्कुलेशन को बनाए रखने में हमारे चिकित्सा कर्मियों की समर्पित भूमिका होती है।' मणिपाल हॉस्पिटल्स ईस्ट के रीजनल चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, डॉ. अयनाभ देबगुप्ता ने कहा, 'मणिपाल हॉस्पिटल्स अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसकी संरचना को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।'