राज्य के सरकारी अस्पतालों में अब गामा नाइफ से की जाएगी चिकित्सा

बांगुर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज से शुरू होगी योजना
इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज के 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित प्रो. रॉबिन सेनगुप्ता, नारायण स्वरूप निगम, कैथी जिला डायस, लिएंडर पेस, प्रो. ऋषिकेश कुमार प्रो. देवाशीष दास एवं अन्य
इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज के 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित प्रो. रॉबिन सेनगुप्ता, नारायण स्वरूप निगम, कैथी जिला डायस, लिएंडर पेस, प्रो. ऋषिकेश कुमार प्रो. देवाशीष दास एवं अन्य
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कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार अब न्यूरो संबंधी बीमारियों के इलाज में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने की दिशा में अग्रसर है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नारायण स्वरूप निगम ने बताया कि हर वर्ष राज्य में लगभग 1.5 लाख स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं, जिनमें से अनेक मरीजों को समय पर समुचित इलाज नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि न्यूरोमेडिसिन एक अत्यंत जटिल और विशेष विज्ञान है, जिसकी जाँच और उपचार केवल योग्य व प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा ही संभव है। ऐसे में पूरे राज्य में सभी लोगों तक न्यूरो सेवाओं को पहुँचाना एक बड़ी चुनौती है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए उन्होंने बताया कि राज्य में जल्द ही गामा नाइफ (गामा किरण) चिकित्सा की शुरुआत की जाएगी, जिससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल रोगों का इलाज अधिक प्रभावी और सुलभ हो सकेगा। फिलहाल, कोलकाता स्थित बांगुर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज में, जिसकी क्षमता लगभग 450 बिस्तरों की है, जहां न्यूरो के मरीजों का इलाज किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कॉन्वेंट रोड में एक नया न्यूरो अस्पताल स्थापित किया जा रहा है, जिसकी क्षमता 200 बिस्तरों की होगी।

इसके शुरू होने से राज्य में न्यूरो संबंधी रोगों के उपचार में और भी अधिक सुधार होगा। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज के 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधान सचिव ने संस्थान के संस्थापक प्रो. रॉबिन सेनगुप्ता के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब वे ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करते हैं, तो वहाँ ऐसे अनेक लोग मिलते हैं जिन्हें उच्च रक्तचाप, मोतियाबिंद जैसी समस्याएँ होती हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में समुचित स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होतीं। ऐसे में प्रो. सेनगुप्ता जैसे लोगों से प्रेरणा लेना आवश्यक है, जो सभी तक इलाज की सुविधा पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

प्रधान सचिव ने यह भी कहा कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए सरकारी और निजी संस्थानों के बीच सहयोग आवश्यक है। विश्वविद्यालय, सरकारी अस्पताल और विशेषज्ञ यदि एक साथ मिलकर कार्य करें, तभी एक सुदृढ़ स्वास्थ्य व्यवस्था का निर्माण संभव है। इस अवसर पर प्रो. सेनगुप्ता ने जानकारी दी कि उत्तर 24 परगना जिले में 40 एकड़ भूमि पर स्नायुतीर्थ, एक न्यूरोसाइंस विश्वविद्यालय और आधुनिक अस्पताल की स्थापना की जा रही है। इस संस्थान के शुरू होने से न केवल न्यूरो संबंधी बीमारियों का उन्नत इलाज संभव होगा, बल्कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के प्रशिक्षण में भी अत्यधिक सहायता मिलेगी।

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