

कोलकाताः कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक मस्जिद के निर्माण में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसका प्रस्ताव निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर ने रखा था। अदालत की यह टिप्पणी छह दिसंबर को प्रस्तावित 'बाबरी मस्जिद' के लिए निर्धारित शिलान्यास समारोह से पहले आई है, जो मूल ढांचे के विध्वंस की वर्षगांठ भी है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल की खंडपीठ ने प्रस्तावित मस्जिद के शिलान्यास समारोह पर रोक लगाने की अपील वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद निर्देश दिया कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पश्चिम बंगाल सरकार की होगी। बृहस्पतिवार को दायर जनहित याचिका में इस आधार पर समारोह पर रोक लगाने की अपील की गई थी कि इस समारोह से क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है।
याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि अदालत कबीर की भड़काऊ टिप्पणियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे, जिन्होंने कथित तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा है। याचिका में कहा गया है, "रिट याचिका मुर्शिदाबाद के बेलडांगा ब्लॉक एक में बाबरी मस्जिद के शिलान्यास को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए रोकने से संबंधित है... विधायक एक समुदाय के खिलाफ अशोभनीय और अपमानजनक बातें और अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सार्वजनिक शांति भंग होती है।"
याचिका में कहा गया है कि एक विधायक होने के नाते, सोशल मीडिया और यूट्यूब न्यूज पोर्टल पर इस तरह के बयान और अभद्र भाषा हमारे राज्य के साथ-साथ हमारे देश के सांप्रदायिक सद्भाव को भी बिगाड़ सकती है।" कबीर पार्टी के आंतरिक मामलों सहित कई मुद्दों पर विवादास्पद बयान देकर पहले भी सुर्खियों में रहे हैं। उनको तृणमूल कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को "सांप्रदायिक राजनीति" में संलिप्त होने के आरोप में निलंबित कर दिया। निलंबित नेता ने बाद में विधायक पद से इस्तीफा देने और इस महीने के अंत में अपनी पार्टी बनाने की घोषणा की।