

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोलकाता एयरपोर्ट पर रनवे और टैक्सी वे पर जानवर नहीं आ पाए, इसके लिए स्मार्ट जाल लगाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने पारंपरिक पिंजरों की जगह आधुनिक और स्मार्ट कैमोफ्लाज ट्रैप लगाए हैं। ये नए जाल बिना किसी नुकसान के जानवरों को पकड़ने और उड़ान संचालन को सुरक्षित बनाने में मदद कर रहे हैं। हाल ही में कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें 16 फरवरी को दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की एक फ्लाइट के पायलट ने रनवे पर सियार दिखाई दिया था। इससे विशाखापट्टनम से आ रही एक फ्लाइट को लैंडिंग टालनी पड़ी। इसी तरह, 19 जनवरी को अहमदाबाद जाने वाली अकासा एयर की फ्लाइट के पायलट ने टैक्सीवे 2 के पास दो सियार देखने की सूचना दी थी, जिससे एक चार्टर्ड विमान को भी गो-अराउंड करना पड़ा।
ऐसे काम करता है नया ट्रैप सिस्टम
एयरपोर्ट अधिकारियों के अनुसार, नए जाल को सियार के संभावित ठिकानों के पास लगाया गया है। ये ट्रैप चारे और मूवमेंट-सेंसिटिव मैकेनिज्म का उपयोग करके जानवरों को पकड़ते हैं। हाल ही में इस प्रणाली से तीन सियार और दो जंगली बिल्ली को सुरक्षित रूप से पकड़कर वन विभाग को सौंपा गया। एक अधिकारी ने बताया, “अगर कोई सियार विमान से टकरा जाता है, तो यह लैंडिंग गियर, इंजन या एयरक्राफ्ट के ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। 8-10 किलोग्राम वजनी सियार से टकराने पर बड़ा हादसा हो सकता है, जिससे यात्रियों की जान को भी खतरा हो सकता है।”
पुराने प्रयास और नई रणनीति
2021 में, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सियारों की संख्या नियंत्रित करने के लिए उन्हें मारने की अनुमति मांगी थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद तमिलनाडु की नारिकुरावर जनजाति की मदद ली गई, जो सियारों का शिकार करने में माहिर है। हालांकि, यह केवल अस्थायी समाधान था, इसलिए अब मैकेनिकल ट्रैप अपनाए गए हैं। “नए ट्रैप की डिजाइन ऐसी है कि इसमें एक बार में एक से अधिक जानवर समा सकते हैं। साथ ही, एयरपोर्ट अथॉरिटी को कचरा डंपिंग जोन को ढकने की सलाह दी गई है, जिससे सियारों को आकर्षित होने से रोका जा सके,” वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया।