

रामबालक, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कहा जाता है कि यदि इंसान ठान ले तो हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, वह अपनी मेहनत और हौसले से सफलता हासिल कर सकता है। इस कहावत को सच कर दिखाया है पार्क सर्कस क्षेत्र में रहने वाली 32 वर्षीय नीलम देवी ने, जो चाय की एक छोटी-सी दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं और आत्मनिर्भरता की एक सशक्त मिसाल बन चुकी हैं। मूल रूप से बिहार के नवादा की रहने वाली नीलम देवी दक्षिण कोलकाता के जतीन दास मेट्रो स्टेशन के पास एक छोटी सी चाय की स्टॉल लगाती हैं। स्टॉल में सुबह शाम काफी भीड़ उमड़ती है। यह चाय की दुकान करीब 40 वर्ष पुरानी है, जिसे पहले उनके ससुर चलाया करते थे। ससुर के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी नीलम के कंधों पर आ गई और उन्होंने इस दुकान को संभालने का साहसिक फैसला लिया। नीलम पिछले 20 वर्षों से लगातार मेहनत कर रही हैं। पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वह इस छोटे व्यवसाय को आगे बढ़ा रही हैं। दुकान भले ही छोटी हो, लेकिन इससे होने वाली आय से किसी तरह घर का खर्च चल जाता है। उनकी दिनचर्या बेहद संघर्षपूर्ण है। सुबह 7 बजे वे दुकान खोलती हैं और रात 9 बजे तक काम करती हैं। वह किराये के मकान में रहती हैं और सीमित संसाधनों के बावजूद एक बेटा और बेटी की शिक्षा और परिवार की जरूरतें पूरी करने का प्रयास कर रही हैं। सरकारी योजनाओं के बारे में नीलम बताती हैं कि पहले उन्हें लक्ष्मी भंडार योजना का लाभ मिलता था, लेकिन अब वह बंद हो गया है और फिलहाल किसी भी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा। इसके बावजूद संघर्ष, मेहनत और आत्मसम्मान के बल पर नीलम आज आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तीकरण की एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुकी हैं।