अब कोलकाता में भी बन गया Golden Temple! देखें कहां…

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कोलकाता : कालीघाट मंदिर में शनिवार को माता के चमचमाते स्वर्ण मुकुट का अनावरण किया गया। यह मुकुट मंदिर की आध्यात्मिक प्रमुखता का प्रतीक है। 24 कैरेट सोने के 50 किलोग्राम प्रभावशाली सोने से इस मुकुट का निर्माण हुआ है। बता दें कि मंदिर के शिखर और उसके तीन स्वर्ण मुकुटों के साथ-साथ आंतरिक गर्भगृह के नवीनीकरण का यह काम रिलायंस फाउंडेशन को सौंपा गया है। मंदिर के बाहरी हिस्से और पूरे परिसर की बहाली की देखरेख करने का काम कोलकाता नगर निगम करता है।बता दें कि काली माता का यह मंदिर  कोलकाता ही नहीं पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए आते हैं। माँ काली में भक्तों की भरपूर आस्था और अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए जाना जाता है यह प्राचीन मंदिर। यहां पर देवी काली की मूर्ति चांदी से बनी है।

क्या है इस मंदिर की खासियत?

कोलकाता के कालीघाट में स्थित काली देवी का मन्दिर है। यह भारत की 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी (सन्यासपूर्व नाम 'जिया गंगोपाध्याय') ने की थी। यह मंदिर काली भक्तों के लिए सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर में देवी काली के प्रचण्ड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुंडो की माला है, हाथ में कुल्हाड़ी और कुछ नरमुंड हैं, कमर में भी कुछ नरमुंड बंधे हुए हैं। उनकी जिह्वा (जीभ) निकली हुई है और जीभ में से कुछ रक्त की बूंदे भी टपक रही हैं। प्रतिमा में जिह्वा स्वर्ण से बनी है।

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