

कोलकाता : बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में पॉक्सो एक्ट के तहत अब और सख्त रgख इख्तियार करते हुए स्वास्थ्य भवन ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल, मेडिकल सुपर और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किया है। स्वास्थ्य भवन द्वारा जारी निर्देशिका के तहत यौन उत्पीड़न के शिकार किसी भी बच्चे की मेडिकल जांच अनिवार्य रूप से की जाएगी। चाहे एफआईआर दर्ज हो या नहीं। निर्देशिका के अनुसार, अगर किसी कारणवश पीड़िता के परिवार वाले एफआईआर दर्ज नहीं कराते, लेकिन बच्चे को अस्पताल लाया जाता है, तो अस्पताल को तुरंत उसकी मेडिकल जांच करनी होगी। साथ ही, यह जांच सिर्फ महिला डॉक्टर द्वारा ही की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक अस्पताल को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करना अनिवार्य होगा। स्वास्थ्य भवन की गाइडलाइन के अनुसार, पीड़ित बच्ची की जांच परिवार के किसी सदस्य की उपस्थिति में ही करनी होगी। यदि परिवार का कोई सदस्य उपस्थित नहीं है तो, उनकी ओर से अधिकृत कोई विश्वस्त व्यक्ति मौजूद रहना होगा। अगर ऐसा संभव न हो, तो मेडिकल जांच को स्थगित कर दिया जाएगा। हालांकि, अगर कोई विश्वस्त व्यक्ति भी उपलब्ध नहीं है, तब अस्पताल के पॉक्सो बोर्ड की महिला डॉक्टर की उपस्थिति में ही जांच की जाएगी।
इस सख्त निर्देश की जरूरत क्यों?
दरअसल, पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य विभाग को शिकायतें मिल रही थीं कि कई अस्पतालों में पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं हो रहा था। शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य भवन ने निर्देश जारी किया है। जारी निर्देशिका को न केवल मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों को भेजा गया है, बल्कि इसे राज्य बाल अधिकार आयोग के निदेशक, मानसिक स्वास्थ्य के विशेष सचिव समेत अन्य सरकारी स्तरों पर भी साझा किया गया है।