

कोलकाता : सर्वाइकल कैंसर से देश को मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार को देश भर में राष्ट्रीय स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम बहुत जल्द चलाना चाहिए। एक शोध के अनुसार हर साल इस देश में सर्वाइकल कैंसर से करीब 77 हजार से अधिक महिलाओं की मौत हो रही है। यह कैंसर अधिकतर महिलाओं को होता है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की पहल पर महानगर के पांच सितारा होटल में 'कॉन्कर एचपीवी - कैंसर जन जागरुकता कॉन्क्लेव के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के शिशु विभाग के प्रोफेसर डॉ. जयदीप चौधरी ने सत्र के संचालन के दौरान यह बात कही। आगे उन्होंने कहा कि वैक्सिन का नाम 'सर्वावैक' है। यह गेमचेंजर होने के साथ ही किफायती भी है। यह वैक्सीन 9-14 साल के बच्चों में दो डोज, इसके अलावा 15 से 26 वर्ष के लोगों के बीच 3 डोज देने का प्रावधान है। यह वैक्सीन महिला और पुरुष दोनों को सर्वाइकल कैंसर सहित अन्य कैंसर से छुटकारा दिलाने में कारगर है। कैंसर से मुक्ति पाने के लिए लोगों के बीच जागरुकता लानी होगी। एचपीवी एक वायरस है। इसे रोकना किसी के वश में नहीं है। इसे एकमात्र वैक्सीन से रोका जा सकता है। इस अभियान का लक्ष्य ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के प्रति और वायरस किस तरह सर्वाइकल और अन्य तरह के कैंसर का कारण बनता है उसे लेकर जागरुकता पैदा करना है। इस अभियान का मकसद लोगों में यह जागरुकता लानी है कि जल्दी इलाज के लिए कदम उठाकर इसे कैसे रोका जा सकता है। देश में कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौतों का यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा गुदा कैंसर के 90 प्रतिशत मामले और लिंग कैंसर के 63 प्रतिशत मामले एचपीवी से जुड़े होते हैं। इस मौके पर पैनल में अपोलो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के कंसलटेंट बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पल्लव चट्टोपाध्याय, आईएपी हावड़ा शाखा के वर्ष 2025-26 के लिए अध्यक्ष और नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिजीत सरकार, चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्त्री रोग विशेषज्ञ और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. दीपान्विता बनर्जी, कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के स्त्री रोग विशेषज्ञ और लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. वासव मुखर्जी, कोलंबिया एशिया अस्पताल और चार्नाक अस्पताल में स्त्री रोग और प्रसूति विभाग के प्रमुख डॉ. दिव्येंदु बनर्जी शामिल थे। सभी वक्ताओं ने इस वायरस को लेकर जागरुकता पैदा करने की आवश्यकता, किशोरों और माता-पिता दोनों तक पहुंचने के महत्व और इससे बचाव में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। सभी वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि एचपीवी सिर्फ सर्वाइकल कैंसर तक ही सीमित नहीं है। यह वाल्व, वैजाइना, ऐनस (गुदा), लिंग और ओरोफेरिंक्स (मुख-ग्रसनी) के कैंसर से भी जुड़ा है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। कंपनी ने भारत में विकसित पहली जेंडर न्यूट्रल (स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए) क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन ‘सर्वावैक’ को लॉन्च करके जनस्वास्थ्य की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है। यह वैक्सीन महिला और पुरुष दोनों को दी जा सकती है।