कोलकाता : मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य मिलता है, साथ ही सभी पापों से मुक्ति मिलती है। सोमवार को देशभर में मकर संक्रांति के दिन गंगा में डुबकी लगाने के लिये हजारों लोग उमड़े। इसी बीच कोलकाता के बाबूघाट में सूर्योदय से पहले ही हजारों लोगों का गंगा स्नान के लिये तांता लगा रहा। इसके अलावा दूर-दराज से आये हजारों श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया। बताया जा रहा है कि इस दिन बाबूघाट में 60,000 से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंचे। गौरतलब है कि हर वर्ष गंगासागर में लाखों लोग पहुंचते हैं। बाबूघाट एक प्वाइंट है जहां हजारों श्रद्धालु व साधु-संत यहां शिविरों में रुकते हैं। यहां उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था रहती है। इसके अलावा सरकारी बसों की भी खास व्यवस्था होती है जिससे लोग पहुंच सकते हैं। वहीं रिकॉर्ड तोड़ भीड़ होने के कारण कई बार श्रद्धालु गंगासागर स्नान नहीं कर पाते हैं। इसीलिये लोग सबसे पुराने घाट, बाबूघाट में स्नान करते हैं। इसे लेकर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाबूघाट में मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में सुबह 4 बजे से श्रद्धालु डुबकी लगाने पहुंचने लगे और सूरज ढलने तक लोग यहां आते रहे और दान-पुण्य किया। उन्होंने बताया कि कई लोग गंगासागर नहीं पहुंच पाते या फिर वहां से लौटते समय भी लोग बाबूघाट के शिविरों में रुकते हैं और मकर संक्रांति के दिन स्नान करते हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन बाबूघाट में 60,000 से अधिक लोगों ने डुबकी लगाई है।
आसपास के घाटों पर भी जमकर हुई भीड़
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर जहां देश के हर एक कोने से आए श्रद्धालुओं की भीड़ गंगासागर तीर्थस्थल की ओर गई। वैसे ही महानगर एवं आस पास के इलाकों के लोग भी मकर संक्रांति के त्योहार पर पुण्य स्नान का लाभ उठाने के लिए कोलकाता के बाबूघाट एवं अन्य घाटों पर पहुंचे। गंगासागर से लौट आए और अपने गनतव्य की ओर जाते श्रद्धालुओं ने भी बाबूघाट पर दुबारा पुण्य स्नान किया। सुबह से ही घाट पर हजारों लागों का तांता लगा रहा। साथ ही पुलिस की एक टीम घाट के तट पर पूरी तरह से तैनात थी। घाट पर मौजुद श्रद्धालुओं ने सन्मार्ग से बातचित के दौरान बताया कि वह की गयी व्यवस्थाओं से काफी प्रभावित हैं। वही अयोध्या नगरी से आई श्रद्धालु सोनी साहू ने कहा कि वह कुल 11 लोगों के साथ इस यात्रा पर आई हैं, और बताया कि वह पीछले 5 वर्षों से पुण्य स्नान का लाभ लेने आ रही है। उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले अब की व्यवस्था में काफी बदलाव आए हैं, साथ ही राज्य सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए बहुत सारे शेवा शिविरों का भी प्रशंसा जनक आयोजन किया गया है।