भारत-बांग्लादेश वस्त्र व्यापार को झटका : प्रतिबंध लागू होने से पहले पेट्रापोल से रवाना हुआ आखिरी ट्रक

भारत-बांग्लादेश वस्त्र व्यापार को झटका : प्रतिबंध लागू होने से पहले पेट्रापोल से रवाना हुआ आखिरी ट्रक
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : भारत-बांग्लादेश के बीच चल रहे वस्त्र व्यापार को एक बड़ा झटका उस समय लगा जब भारत सरकार ने बांग्लादेश से होने वाले कुछ विशिष्ट वस्तुओं के आयात पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया। शनिवार की शाम को जारी किए गए इस आदेश के तुरंत बाद पेट्रापोल भूमि बंदरगाह से अंतिम ट्रक ने सीमा पार की। बांग्लादेश के बेनापोल से भारत के पश्चिम बंगाल स्थित पेट्रापोल पहुंचा था और इसमें रेडीमेड गारमेंट्स (तैयार वस्त्र) लदे थे, जिनकी अनुमानित कीमत ₹12-15 लाख बताई जा रही है। यह माल ‘रिलायंस रिटेल इंडिया’ के लिए था।

30 प्रतिशत हिस्सा संभालता है पेट्रापोल : यह घटना महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि पेट्रापोल न केवल भारत-बांग्लादेश व्यापार का मुख्य केंद्र है, बल्कि यह दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा भूमि बंदरगाह भी है। कोलकाता से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित यह बंदरगाह दोनों देशों के बीच भूमि मार्ग से होने वाले कुल व्यापार का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा संभालता है।

भारतीय सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल रही है ट्रकों को : शनिवार शाम 7 बजे से प्रभावी इस नए आदेश के तहत रेडीमेड गारमेंट्स, खाद्य पदार्थ (जैसे डिब्बाबंद जूस), सूती वस्त्र आदि के भारत में प्रवेश पर रोक लगा दी गई। इसके चलते रविवार दोपहर तक 36 ट्रक, जिनमें लगभग ₹6 करोड़ मूल्य के वस्त्र लदे हुए हैं, बांग्लादेश की ओर खड़े हैं और उन्हें भारतीय सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल रही है ।

प्रतिदिन 120-180 ट्रक भारत में प्रवेश करते हैं : पेट्रापोल से प्रतिदिन औसतन 120-180 ट्रक भारत में प्रवेश करते हैं। पहले यह संख्या 300 तक भी पहुंच चुकी थी। इनमें से लगभग 50 प्रतिशत ट्रक तैयार वस्त्र लेकर आते थे। अब इन ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगने के कारण आयातकों और व्यापारियों के सामने एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।

व्यापारी ने यह कहा : एक भारतीय व्यापारी ने बताया कि इन वस्त्रों के लिए लगभग 90 प्रतिशत भुगतान पहले ही कर दिया गया है, जबकि शेष 10 प्रतिशत भुगतान डिलीवरी के बाद किया जाता है। अब व्यापारियों को इन्हें समुद्री मार्गों से भेजने की बात पर विचार करना पड़ रहा है। कोलकाता पोर्ट (खिदिरपुर या हल्दिया) से उत्तर और पूर्व भारत के लिए और मुंबई के न्हावा शेवा पोर्ट से पश्चिम भारत के लिए माल भेजने की योजना बनाई जा रही है।

वैकल्पिक व्यवस्था बहुत महंगी : हालांकि यह वैकल्पिक व्यवस्था बहुत महंगी साबित हो सकती है। समुद्री मार्ग से माल भेजने की प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली है, बल्कि इसमें लागत भी कई गुना बढ़ जाती है, जिसे आयातकों को वहन करना पड़ेगा। इससे छोटे और मध्यम व्यापारियों को विशेष नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भारत सरकार की 17 मई की अधिसूचना के अनुसार, अब बांग्लादेश से होने वाले कुछ उत्पादों का आयात केवल चुनिंदा समुद्री बंदरगाहों (जैसे हल्दिया, खिदिरपुर, और न्हावा शेवा) के माध्यम से ही किया जा सकेगा। इसके साथ ही असम, मेघालय और त्रिपुरा के भूमि सीमा चौकियों जैसे अगरतला, डॉकी, सुतारखंडी, चांगरबंधा और फुलबाड़ी पर भी इन उत्पादों की आवाजाही को नियंत्रित किया जाएगा।

आंकड़े यह कहते हैं : वाणिज्यिक आंकड़ों के अनुसार, आर्थिक वित्तीय वर्ष 2018 में पेट्रापोल से व्यापार ₹18,799 करोड़ था, जो पिछले वित्तीय वर्ष में बढ़कर ₹30,421 करोड़ तक पहुंच गया। कोविड के दौरान वित्तीय वर्ष 2020 और वित्तीय वर्ष 2021 में व्यापार घटकर ₹20,605 करोड़ और ₹15,771 करोड़ रह गया था, लेकिन इसके बाद वित्तीय वर्ष 2022 और वित्तीय वर्ष 2023 में यह क्रमशः ₹29,407 करोड़ और ₹30,379 करोड़ तक उभर गया। स्थिति अब यह है कि न केवल व्यापार प्रभावित हुआ है, बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक विश्वास पर भी असर पड़ा है। जब तक यह प्रतिबंध हटाया नहीं जाता, तब तक दोनों देशों के बीच वस्त्र व्यापार में अनिश्चितता बनी रहेगी।

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