गर्मी का प्रकोप : महानगर में वायरल बुखार और हीट एग्जॉशन के मामलों में बढ़ोतरी

गर्मी का प्रकोप : महानगर में वायरल बुखार और हीट एग्जॉशन के मामलों में बढ़ोतरी
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कोलकाता : तापमान में उतार-चढ़ाव के बीच इन दिनों महानगर के विभिन्न अस्पतालों में वायरल बुखार और मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि आई है। विशेष रूप से बच्चों में संक्रमण की दर अधिक पाई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति गर्मी के बढ़ते प्रभाव और स्कूलों में बच्चों के आपसी संपर्क के चलते और गंभीर हो गई है।

वायरल संक्रमण का बढ़ता खतरा

फोर्टिस अस्पताल, आनंदपुर के कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ. जॉयदीप घोष ने बताया, 'इस समय बड़ी संख्या में लोग वायरल बुखार के लक्षणों के साथ अस्पताल आ रहे हैं। इन मामलों में प्रमुख रूप से इन्फ्लूएंजा वायरस पाया जा रहा है, हालांकि कुछ मामलों में रेस्पिरेटरी सिंसाइटियल वायरस भी देखा जा रहा है। वर्तमान में हर सप्ताह 15 से 17 बच्चों को वायरल लक्षणों के साथ देख रहा है, जिससे समस्या की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। सामान्य लक्षणों में खांसी, सर्दी और बुखार शामिल हैं, और सबसे अधिक प्रभावित बच्चे हो रहे हैं।' उन्होंने कहा कि एक सामान्य प्रवृत्ति यह देखी जाती है कि जब बच्चे स्कूल जाते हैं और यदि एक भी छात्र संक्रमित होता है, तो वायरस तेजी से पूरी कक्षा में फैलता है और फिर घरों तक पहुंचकर पूरे परिवार को संक्रमित कर सकता है। यह प्रसार वैसा ही है जैसा कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया था। उन्होंने संक्रमण रोकने पर जोर देते हुए कहा, 'कोविड-19 के शुरुआती दौर की तरह आइसोलेशन अभी भी सबसे प्रभावी उपाय है। यदि आइसोलेशन संभव न हो, तो मास्क पहनना और नियमित रूप से हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करना बेहद जरूरी है।'

हीट एग्जॉशन से भी लोग परेशान

डिसन अस्पताल के क्रिटिकल केयर और इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ निदेशक डॉ. मोहित खरबंदा ने कहा, 'तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण शरीर मौसमी खांसी और बुखार के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। इससे श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। हम लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी पीने, अत्यधिक गर्मी से बचने और स्वच्छता बनाए रखने की सलाह देते हैं। अगर लक्षण लगातार बने रहें, तो चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।'

गर्मी से थकावट के भी बढ़ रहे हैं मामले

मणिपाल हॉस्पिटल ब्रॉडवे के कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ. पार्थ सारथी भट्टाचार्य ने कहा, 'हमारे पास हीट एग्जॉशन के मरीज आ रहे हैं, हालांकि अभी तक हीट स्ट्रोक के मामले नहीं आए हैं। पहले हर दिन 2-3 मरीज हीट एग्जॉशन के लक्षणों के साथ आ रहे थे।' उन्होंने बताया कि हीट एग्जॉशन से पीड़ित मरीजों में हल्का बुखार, ठंड लगना, डिहाइड्रेशन और सबसे गंभीर लक्षण कम पसीना आना देखा जा रहा है, जिससे शरीर की हीट रेगुलेशन क्षमता बाधित होती है। इसके साथ ही प्यास न लगना, भूख कम होना और भ्रम की स्थिति भी सामने आती है।

उपयोगी उपचार

धूप में सूती कपड़े पहनने,

हर दिन 3-4 लीटर पानी पिये

मौसमी फल खाने और अगर कोई मेडिकल प्रतिबंध न हो, तो नमक- चीनी वाला पानी पिये

पीक ऑवर्स (दोपहर) के दौरान बाहर न जाए

उचित भोजन और समय सय पर पानी पीना मददगार होता है।

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