

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : IIT खड़गपुर के बायोसाइंस और बायोटेक्नोलॉजी विभाग के छात्रों के एक समूह ने एक अभिनव सिंथेटिक बायोलॉजी आधारित शोध मॉडल विकसित किया है, जो कैंसर की वापसी (रीलैप्स) के शुरुआती संकेतों की पहचान में नई संभावनाएं खोल सकता है। इस शोध मॉडल को “TRACER” (ट्रेसर) नाम दिया गया है।
यह विचार इंटरनेशनल जेनेटिकली इंजीनियर्ड मशीन (iGEM) 2025 प्रतियोगिता में संस्थान की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चयनित हुआ है। यह एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता है, जिसमें दुनिया भर के शीर्ष विश्वविद्यालय सिंथेटिक बायोलॉजी के क्षेत्र में अपने नवाचार प्रस्तुत करते हैं।
इस टीम में छात्र कृष्ण कांत, अक्षरा संक्रांति, कैरव बरुआ, भनवी कुमार, श्रेया मोहंती और आयुष मुंशी शामिल हैं। इनके साथ मुख्य अन्वेषक (Principal Investigators) के रूप में एसोसिएट प्रोफेसर अरिंदम मंडल और अग्न्यो गांगुली, तथा असिस्टेंट प्रोफेसर विनय पटेल और मैनक बोस टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
टीम शनिवार को पेरिस रवाना होगी, जहां 28 से 31 अक्टूबर तक यह प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
IIT खड़गपुर की यह टीम वर्तमान में स्तनधारी (mammalian) कोशिकाओं को इंजीनियर करने की प्रक्रिया पर काम कर रही है, ताकि भविष्य में ये कोशिकाएँ विभिन्न आणविक संकेतों (molecular signals) — जैसे कैंसर कोशिकाओं या वायरल संक्रमणों से जुड़ी गतिविधियों — को पहचानने में सक्षम हो सकें।
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मॉडल भविष्य में कैंसर की समय से पहले पहचान, रीलैप्स की रोकथाम और रोगी निगरानी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह पहल न केवल चिकित्सा अनुसंधान में IIT खड़गपुर की अग्रणी भूमिका को रेखांकित करती है, बल्कि भारत की नवाचार क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक बड़ा अवसर भी प्रदान करती है।