

सन्मार्ग संवाददाता
खड़गपुर : भारत के प्रथम एवं सबसे बड़े आईआईटी, आईआईटी खड़गपुर ने इंट्यूटिव फाउंडेशन के साथ साझेदारी में एक नवीन अनुसंधान कार्यक्रम की घोषणा की है। इंट्यूटिव फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसे इंट्यूटिव सर्जिकल द्वारा वित्तपोषित किया जाता है—जो न्यूनतम इनवेसिव चिकित्सा में वैश्विक प्रौद्योगिकी अग्रणी और रोबोटिक-सहायित सर्जरी का अग्रदूत है।
इस पहल का उद्देश्य सर्जिकल देखभाल के व्यापक डिजिटल मॉडल विकसित करना है, जो भविष्य में रोबोटिक-सहायित प्रक्रियाओं के लिए अधिक विश्वसनीय सुरक्षा मार्गदर्शन, एआई-सक्षम निर्णय सहायता और जिम्मेदार प्रारंभिक स्वचालन की आधारशिला रख सकें। समय के साथ, इन प्रगतियों से सर्जनों को अधिक आत्मविश्वास और एकरूपता के साथ कार्य करने में सहायता मिलने की अपेक्षा है, जिससे अधिक मानकीकृत और पूर्वानुमेय सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से रोगियों के बेहतर परिणाम सुनिश्चित हो सकेंगे।
इन मॉडलों के परीक्षण हेतु आईआईटी खड़गपुर da Vinci Research Kit (dVRK) का उपयोग करेगा, जो सेवानिवृत्त da Vinci प्रणालियों से निर्मित एक गैर-नैदानिक शोध मंच है। dVRK डिजिटल मॉडलों को भौतिक रोबोटिक गतियों से जोड़ता है, जिससे फैंटम्स, कृत्रिम ऊतकों और शारीरिक (anatomical) मॉडलों का उपयोग कर प्रारंभिक स्वचालन मॉड्यूल का विकास एवं परीक्षण संभव हो पाता है। सभी परीक्षण नियंत्रित प्रयोगशाला वातावरण में किए जाएंगे और इनमें मानव सर्जरी शामिल नहीं होगी।
यह कार्य एक बहु-विषयक शोध दल के मार्गदर्शन में किया जा रहा है तथा कोलकाता स्थित नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के साथ आईआईटी खड़गपुर के दीर्घकालिक सहयोग द्वारा समर्थित है। वास्तविक नैदानिक परिस्थितियों में कोलेसिस्टेक्टॉमी (पित्ताशय को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने की प्रक्रिया) का विस्तृत प्रलेखन करते हुए, शोधकर्ता यह समझ विकसित करेंगे कि सर्जरी किस प्रकार संपन्न होती है, जिससे डिजिटल मॉडलों को परिष्कृत करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता मिलेगी, जहाँ सहायक उपकरणों का सर्वाधिक प्रभाव हो सकता है।
आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने कहा, “यह कार्यक्रम शल्य चिकित्सा देखभाल से जुड़ी जटिल चुनौतियों के समाधान हेतु अकादमिक जगत, चिकित्सकों और वैश्विक प्रौद्योगिकी साझेदारों के बीच सहयोग की शक्ति को दर्शाता है। इंट्यूटिव फ़ाउंडेशन और हमारे नैदानिक सहयोगियों के साथ निकटता से कार्य करते हुए, हम अभियांत्रिकी विज्ञान को वास्तविक सर्जिकल विशेषज्ञता के साथ जोड़ रहे हैं, ताकि ऐसा ज्ञान विकसित किया जा सके जिसे साझा किया जा सके, सत्यापित किया जा सके और सामूहिक रूप से आगे बढ़ाया जा सके। इस प्रकार की साझेदारियाँ सर्जिकल सुरक्षा को सुदृढ़ करने और विश्वभर में रोगियों के बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने हेतु मजबूत और जिम्मेदार ढाँचों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।”
आईआईटी खड़गपुर के एसोसिएट प्रोफेसर प्रो. देबदूत शीट ने कहा, “हमारा मुख्य उद्देश्य सर्जरी का ऐसा प्रलेखन करना है, जिसे संगणकीय प्रणालियां समझ सकें। संपूर्ण सर्जिकल यात्रा के दौरान सर्जनों द्वारा लिए गए निर्णयों का विश्लेषण करके, हम उन बिंदुओं की पहचान कर सकते हैं जहाँ लक्षित सुदृढ़ीकरण या मार्गदर्शन से सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकता है। ये संरचित मॉडल हमें उन चरणों को भी पहचानने में मदद करते हैं, जो सरल और अत्यधिक दोहराव योग्य हैं तथा जिन्हें नियंत्रित वातावरण में विश्वसनीय रूप से स्वचालित किया जा सकता है। इसका उद्देश्य सर्जनों को जटिल निर्णय-निर्माण पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाना है, जबकि मानकीकृत कार्यों को समान सटीकता के साथ निष्पादित किया जा सके।” इन प्रयासों में आईआईटी खड़गपुर के प्रो. पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती और प्रो. शुभमय मंडल भी सहभागी हैं।
इस कार्यक्रम से दो प्रमुख परिणाम प्राप्त होने की अपेक्षा है। पहला, सर्जिकल प्रक्रिया का एक पूर्ण डिजिटल फुटप्रिंट, जो एआई-संचालित प्रणालियों को निदान विवरण, नियोजित परिदृश्यों, शल्य-क्रिया के दौरान की परिस्थितियों और रिकवरी डेटा को एकीकृत करने में सक्षम बनाएगा । इससे सुरक्षित तकनीकों को रेखांकित करने, विचलनों को चिन्हित करने और जटिलताओं के स्रोतों का पता लगाने में सहायता मिलेगी।
दूसरा, चयनात्मक स्वचालन का जिम्मेदार परिचय। जब मैप किए गए वर्कफ़्लो उन चरणों की पहचान कर लेंगे जो सरल, सुरक्षित और अधिक दोहराव योग्य हैं, तब लक्षित स्वचालन मॉड्यूल सर्जनों को नियमित कार्यों में सहयोग प्रदान कर सकेंगे और उन्हें उच्च-स्तरीय निर्णय-निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता करेंगे।
इंट्यूटिव फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. कैथरीन मोहर ने कहा, “dVRK अकादमिक शोध के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बन चुका है, जिसका उपयोग 11 देशों के 41 विश्वविद्यालयों में 40 अभियांत्रिकी समूह सर्जिकल रोबोटिक्स से जुड़े नए प्रश्नों के अन्वेषण हेतु कर रहे हैं। इस कार्य के लिए एक गैर-नैदानिक प्रणाली उपलब्ध कराकर, हम युवा इंजीनियरों और डिज़ाइनरों की अगली पीढ़ी को रोगियों तक पहुँचने से बहुत पहले सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से प्रारंभिक अवधारणाओं का परीक्षण करने में सक्षम बनाते हैं। यह उत्साहजनक है कि आईआईटी खड़गपुर जैसे संस्थान भारत के भविष्य में निवेश कर रहे हैं और इस मंच का उपयोग रोबोटिक-सहायित सर्जरी के भविष्य पर कठोर वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं।”
इस पहल पर टिप्पणी करते हुए रोहित महाजन, वाइस प्रेसिडेंट एवं जनरल मैनेजर, इंट्यूटिव इंडिया ने कहा, “इंट्यूटिव न्यूनतम इनवेसिव देखभाल में वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ाने वाले अकादमिक अनुसंधान के समर्थन के लिए प्रतिबद्ध है। dVRK मंच के माध्यम से विश्वविद्यालय रोबोटिक-सहायित सर्जरी के भविष्य को गति देने वाली नई अवधारणाओं का अन्वेषण कर सकते हैं। सर्जिकल इन्फॉर्मेटिक्स और रोबोटिक्स में आईआईटी खड़गपुर की विशेषज्ञता इसे एक मूल्यवान सहयोगी और अकादमिक भागीदार बनाती है। हमें संस्थान के साथ अनुसंधान विचारों को प्रभावी रूप से व्यावहारिक
अनुप्रयोगों में रूपांतरित करने के लिए सहयोग करते हुए प्रसन्नता हो रही है। हम एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए सर्जरी में निर्णय-निर्माण के मानकीकरण के माध्यम से रोगी परिणामों में विविधता कम करने के अपने मिशन में यहाँ की टीम का समर्थन करने के लिए तत्पर हैं।”
यह कार्यक्रम सर्जिकल सुरक्षा, डिजिटल प्रलेखन और जिम्मेदार स्वचालन के क्षेत्र में वैश्विक विमर्श में योगदान देने की भारत की बढ़ती क्षमता को प्रतिबिंबित करता है। नैदानिक अंतर्दृष्टि, संगणकीय मॉडलिंग और कठोर प्रयोगात्मक परीक्षण को एक साथ लाकर, आईआईटी खड़गपुर का उद्देश्य उन वैज्ञानिक सिद्धांतों को परिभाषित करने में सहायता करना है, जो रोबोटिक-सहायित सर्जरी के भविष्य का मार्गदर्शन करेंगे।