चंडीतल्ला में हुगली ग्रामीण पुलिस की मानवीय पहल

दिहाड़ी मजदूर के 10 माह के बेटे का लिवर ट्रांसप्लांट सफल, बच्चा लौटा घर
चंडीतल्ला थाना प्रभारी अनिल राज ने  बच्चे को दुलारते हुए, साथ में हैं बच्चे के माता और पिता
चंडीतल्ला थाना प्रभारी अनिल राज ने बच्चे को दुलारते हुए, साथ में हैं बच्चे के माता और पिता
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सतीश, सन्मार्ग संवाददाता

हुगली : मानवता की अद्भुत मिसाल पेश करते हुए हुगली ग्रामीण पुलिस ने एक दिहाड़ी मजदूर के मासूम बेटे की जान बचाई है। चंडीतल्ला थाना प्रभारी अनिल राज के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों ने सामूहिक सहयोग से 10 माह के प्रियम दास का सफल लिवर ट्रांसप्लांट संभव कराया। थाना क्षेत्र के हरिपुर गांव निवासी दीपक दास दिहाड़ी मजदूर हैं। उनके बेटे प्रियम को जन्म से ही बिलियरी एटरेसिया नामक गंभीर लिवर रोग था। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की जान बचाने का एकमात्र उपाय लिवर ट्रांसप्लांट है, जिसकी लागत लाखों रुपये थी। आर्थिक रूप से असमर्थ दीपक दास ने जब आखिरी उम्मीद के तौर पर चंडीतल्ला थाना का दरवाजा खटखटाया, तो थाना प्रभारी ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत मदद का हाथ बढ़ाया। अनिल राज ने इस मामले की जानकारी हुगली ग्रामीण पुलिस अधीक्षक तक पहुंचाई। एसपी के मार्गदर्शन में पुलिसकर्मियों ने “मानवता अभियान” शुरू किया। किसी ने अपने वेतन से सहयोग दिया, तो किसी ने जनसहयोग जुटाया। कुछ स्थानीय समाजसेवियों ने भी हाथ बढ़ाया। इसके अलावाा कई पुलिस वालाें ने बच्चे के लिए परिजनों से मदद ली। इसक बाद सभी के प्रयासों से आवश्यक धनराशि एकत्रित हुई और बच्चे को उपचार के लिए चेन्नई के रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल भेजा गया। डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक लिवर ट्रांसप्लांट किया और अब छोटा प्रियम पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर लौट आया है। इसके बाद इलाके में खुशी का आलम है।

पुलिस बनी देवदूत, बचाई मासूम की जान

बच्चे के माता-पिता दीपक और ज्योत्स्ना दास ने भावुक होकर कहा, “जब सब उम्मीदें खत्म हो गई थीं, तब पुलिस ने देवदूत बनकर हमारी जिंदगी में रोशनी लाई।” चंडीतल्ला थाने की यह पहल पुलिस की मानवीय संवेदना और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रेरक उदाहरण बन गई है। यह घटना यह भी साबित करती है कि वर्दी के पीछे भी एक संवेदनशील दिल धड़कता है, जो जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहता है।

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