

बिटुमिनाइज की गयी ट्राम पटरियों के पुनरुद्धार का हाई कोर्ट ने दिया निर्देश
कोलकाता : कोलकाता के सांस्कृतिक लोकाचार का हिस्सा ट्राम को बताते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि शहर में अवैध रूप से बिटुमिनाइज की गयी ट्राम पटरियों को बहाल किया जाए। न्यायालय ने कहा कि भारत में कोई अन्य शहर इन इलेक्ट्रिक कारों का संचालन नहीं करता है। एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए, जिसमें मांग की गई है कि ट्राम सेवाएं, जो पूरे देश में कोलकाता के लिए अद्वितीय हैं, को जारी रखा जाए और उन स्थानों पर बहाल किया जाए, जहां इन्हें बंद कर दिया गया है, न्यायालय ने कहा कि शहर की सांस्कृतिक विरासत और लोकाचार को संरक्षित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति होनी चाहिए। न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निर्देश दिया कि अवैध रूप से बिटुमिनाइज किए गए ट्राम ट्रैक को बहाल किया जाए।
कोलकाता पुलिस को जांच के निर्देश
न्यायालय ने कोलकाता पुलिस को ट्राम ट्रैक के बिटुमिनाइजेशन की शिकायतों की जांच करने और ऐसा करने वालों की पहचान करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने पहले निर्देश दिया था कि ट्राम पटरियों का बिटुमिनाइजेशन नहीं होना चाहिए, लेकिन कोलकाता पुलिस के पास दो शिकायतें दर्ज की गईं, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ स्थानों पर ऐसा किया गया है। पीठ ने कहा कि यह विश्वास करना कठिन है कि 'उपयुक्त अधिकारियों के आशीर्वाद' के बिना इस तरह के कृत्य में लिप्त हो सकते हैं। न्यायालय ने निर्देश दिया कि अनुपालन पर एक रिपोर्ट 4 सप्ताह के अंदर सहायक तस्वीरों के साथ उसके समक्ष दाखिल की जाए, जिसके बाद मामले की फिर से सुनवाई होगी।
सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के बारे में सोचे सरकार
पीठ ने कहा, 'ट्राम सेवाओं को बंद करना एक आसान काम है, लेकिन फिर भी प्रतिवादी, एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते, कोलकाता शहर की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के बारे में भी ध्यान में रखना चाहिए।' पीठ ने आगे कहा कि जब पश्चिम बंगाल सरकार ने महानगर में विरासत भवनों को संरक्षित करने के लिए एक अलग विंग का गठन किया है, तो वह यह समझने में विफल है कि ट्राम के संबंध में ऐसा विचार क्यों नहीं किया जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि स्विट्जरलैंड सहित अन्य देश भी हैं जहां ट्राम संचालित होते हैं और कोलकाता की तरह ही, ये ट्राम ट्रैक वहां भी सड़कों के बीच से गुजरते हैं। पीठ ने कहा कि कोलकाता पुलिस ने इसे एक कारण बताया था कि इसके कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं और राज्य के महाधिवक्ता ने भी अपनी दलीलों के दौरान इस बात को दोहराया था।