

कोलकाता : पश्चिम मिदनापुर के महिला थाने में चार युवतियों का उत्पीड़न और उनके साथ मारपीट किए जाने के मामले की सुनवायी मानवाधिकार आयोग के कोर्ट में होगी। हाई कोर्ट के जस्टिस तीर्थंकर घोष ने मंगलवार को यह आदेश दिया। मामले की सुनवायी के बाद जस्टिस घोष ने आदेश को आरक्षित कर लिया था। हाई कोर्ट ने माना है कि इन चारों युवतियों के साथ मारपीट की गई और पुलिस ने साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश की है।
एडवोकेट जयंत नारायण चटर्जी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सुचारिता दास और सुश्रिता सोरेन ने हाई कोर्ट में इस बाबत रिट दायर की थी। जस्टिस घोष ने अपने आदेश में कहा है कि महिला सिपाही कुहेली साहा ने इन युवतियों के साथ मारपीट की थी। आरोप के मुताबिक महिला थाने के ओसी के कमरे में इन युवतियों के साथ मारपीट की गई थी। इस बाबत डीएसपी की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में भी गलतबयानी की गई है। इसमें तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा गया है। सीसीटीवी फुटेज के साथ भी छेड़छाड़ की गई थी। डीएसपी की रिपोर्ट में इस तथ्य को भी छुपाया गया है। जस्टिस घोष ने कहा है कि यह एक अंतरिम आदेश है और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। आदेश में कहा गया है कि सुश्रिता सोरेन के मामले में पुलिस ने फर्जी जीडी दायर करने के बाद इसी के आधार पर गिरफ्तारी का परवाना जारी किया था। इस मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर आईपीएस मुरलीधरन की अध्यक्षता में एक सिट का गठन किया गया था।
जस्टिस घोष ने अपने आदेश में कहा है कि सिट की जांच जारी रहेगी। यहां गौरतलब है कि जादवपुर विश्वविद्यालय की घटना के विरोध में ये युवतियां विश्वविद्यालय के गेट के सामने प्रदर्शन कर रही थी। इसी दौरान पुलिस उन्हें वैन में उठा कर ले गई और उन्हें रात को बारह बजे के बाद बांड पर छोड़ा गया था। इतना ही नहीं उन्हें अगले दिन सुबह दस बजे कोतवाली थाने में हाजिर रहने को आदेश दिया गया था। इस बाबत दायर रिट के मुताबिक ओसी के कमरे में उन पर अमानवीय जुल्म किया गया था। राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक थाने में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं पर ओसी के कमरे में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैै। इसकी अगली सुनवायी दो सप्ताह बाद होगी।