मार्च 2027 तक पूरा हो सकता है घाटाल मास्टर प्लान : मानस भुईयां

उत्तर व दक्षिण बंगाल में बाढ़ की स्थिति को लेकर केंद्र पर साधा निशाना
संवाददाताओं को संबोधित करते मानस रंजन भुईयां
संवाददाताओं को संबोधित करते मानस रंजन भुईयां
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कोलकाता : गुरुवार को राज्य के सिंचाई व जलमार्ग मंत्री डॉ. मानस रंजन भुईयां ने जलसंपद भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए घाटाल मास्टर प्लान का काम पूरा होने का समय बताया। उन्होंने बताया कि घाटाल में बाढ़ के बावजूद राहत कार्यों में जिला प्रशासन द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। मंत्री ने यह भी बताया कि शुक्रवार को वह फिर घाटाल के दौरे पर जायेंगे और यह उनका 18वां दौरा होगा। घाटाल मास्टर प्लान का काम भी पूरा करने की तैयारी जाेरों पर चल रही है। गुरुवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए मंत्री मानस रंजन भुईयां ने कहा, ‘वर्ष 2027 के मार्च महीने तक घाटाल मास्टर प्लान का काम पूरा हो सकता है, ऐसी उम्मीद हम कर रहे हैं। आप लोग जाकर देख आइयेगा, घाटाल की तस्वीर बदल जायेगी। सीएम ममता बनर्जी जो कहती हैं, वही करती हैं।’ मंत्री ने कहा कि केंद्र घाटाल मास्टर प्लान को जादूगर की तरह उड़ा दे रहा है, कोई रुपये नहीं दे रहा। राज्य अपने फंड से उक्त परियोजना कर रहा है, इसका उल्लेख भी मंत्री ने किया। भाजपा के प्रति असंतोष जाहिर करते हुए मंत्री ने कहा, ‘भाजपा का कोई नेता कभी-कभी घाटाल घूमने चला जाता है और एक-एक कर राज्य प्रशासन की आलोचना करता है।’ घाटाल व चंद्रकोणा जैसे बाढ़ प्रभावित इलाकों में इंजीनियर किस तरह दिन-रात एक कर काम कर रहे हैं, इसका उल्लेख भी मंत्री ने किया।

बाढ़ की स्थिति के लिए ठहराया डीवीसी को जिम्मेदार

दक्षिण बंगाल में बाढ़ की स्थिति को लेकर मंत्री मानस रंजन भुईयां ने डीवीसी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि हमें सूचित किये बगैर डीवीसी द्वारा पानी रिलीज किया जा रहा है जिस कारण पुरुलिया, बांकुड़ा, पूर्व बर्दवान और झाड़ग्राम समेत दक्षिण बंगाल के जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति है। इधर, तिस्ता में बाढ़ की परिस्थिति के लिए मानस भुइयां ने सिक्किम को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सिक्किम कीचड़ युक्त पानी तिस्ता नदी में छोड़ रहा है। डुआर्स में बार-बार हड़पा बाढ़ आ रहा है।

कटाव रोकने के लिए 610 कराेड़ रुपये की परियोजना

मंत्री डॉ. मानस रंजन भुईयां ने बताया कि मालदह व मुर्शिदाबाद में कटाव रोकने के लिए 610 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की गयी है। इसमें बिहार व झारखण्ड की सरकार भी शामिल रहेगी और इसके लिए डीपीआर भी तैयार कर लिया गया है। विश्व बैंक से वित्तीय सहायता हेतु केंद्र सरकार ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है। केंद्र द्वारा मंजूरी मिलते ही इस पर काम चालू हो जायेगा।

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