

प्रसेनजीत, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को नयी ऊँचाई देते हुए भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और गगनयान मिशन के प्रमुख सदस्यों में से एक शुभांशु शुक्ला ने कोलकाता में आयोजित इंडियन सेंटर ऑफ स्पेस फिजिक्स के कार्यक्रम में देश की अंतरिक्ष योजना का विस्तृत खाका पेश किया। 41 वर्ष पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से भारत को 'सारे जहाँ से अच्छा' बताया था—शुक्ला ने उसी भावना को दोहराया।
अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है—इस प्रश्न पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि आज भी भारत 'सारे जहाँ से अच्छा' दिखता है, और यह सुनकर उपस्थित दर्शकों में गर्व का भाव उमड़ आया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत 2040 तक मानव को चाँद पर भेजने के लक्ष्य के साथ बेहद तेजी से आगे बढ़ रहा है। गगनयान मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और दीर्घकालिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर देश ने कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये हैं। उनका कहना था कि अंतरिक्ष मिशन अत्यंत जटिल होते हैं, इसलिए अभी सटीक तिथि बताना कठिन है, परंतु परीक्षण मिशनों की सफलता यह स्पष्ट करती है कि भारत अपने लक्ष्य तक जरूर पहुँचेगा।
शुक्ला ने कोलकाता से अपने गहरे जुड़ाव का भी उल्लेख किया। वायुसेना में भर्ती होने के बाद उनकी प्रारंभिक ट्रेनिंग बैरकपुर में हुई थी, जिससे इस शहर से उनका व्यक्तिगत संबंध है। युवाओं के प्रति विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य युवा पीढ़ी के हाथों में है। देश 2047 में 'विकसित भारत' बनने का लक्ष्य रखता है और इसे साकार करने की जिम्मेदारी छात्रों और नयी पीढ़ी को निभानी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान का मजबूत ईको-सिस्टम विकसित हो चुका है, जिससे युवा अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना पूरा कर सकते हैं। अंत में उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा अब कल्पना नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध और दृढ़ वास्तविकता बन चुकी है।