एनएचआरसी के 32वें स्थापना दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संबोधन

कहा – आर्थिक प्रगति के साथ मानव गरिमा भी हो सुनिश्चित
एनएचआरसी के 32वें स्थापना दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संबोधन
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नेहा, सन्मार्ग संवाददाता

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने शुक्रवार को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में अपना 32वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर आयोग द्वारा 'कैदियों के मानवाधिकार' विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि मानवाधिकार केवल कानूनी दायित्व नहीं बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक ज़िम्मेदारी भी है, जो भारत की सांस्कृतिक परंपरा में गहराई से निहित है।

पूर्व राष्ट्रपति ने NHRC के तीन दशक के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था आज दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मानवाधिकार संस्थाओं में से एक बन चुकी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आर्थिक विकास के साथ-साथ सभी वर्गों की गरिमा का संरक्षण होना चाहिए, विशेषकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का, जो शहरों को चलाते हैं लेकिन अक्सर अधिकारों से वंचित रहते हैं।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और मानसिक स्वास्थ्य जैसे समसामयिक मुद्दे भी अब मानवाधिकार से जुड़ गए हैं और इन पर भी उतनी ही संवेदनशीलता से ध्यान देने की आवश्यकता है।

कारावास में बंद व्यक्तियों के अधिकारों पर बोलते हुए श्री कोविंद ने कहा कि जेल केवल दंड का स्थान नहीं, बल्कि सुधार, पुनर्वास और आशा का केंद्र होना चाहिए। उन्होंने जेल अधिकारियों से अपील की कि वे एक ऐसा माहौल बनाएं जिसमें हर बंदी को समाज में दोबारा शामिल होने का अवसर मिले।

NHRC के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम ने बताया कि आयोग ने पिछले 32 वर्षों में 23 लाख से अधिक मामलों पर कार्रवाई की है और ₹263 करोड़ से अधिक की मुआवज़ा राशि की सिफारिश की है। केवल पिछले एक वर्ष में ही आयोग ने 73,000 से अधिक शिकायतों पर संज्ञान लिया और ₹9 करोड़ से अधिक की सिफारिश की है।

NHRC महासचिव श्री भरत लाल ने कहा कि आयोग अब आम जनता के लिए और अधिक सुलभ हुआ है। नागरिक अब देश की 22 भाषाओं में शिकायत दर्ज कर सकते हैं और 5 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से ट्रैक कर सकते हैं।

कार्यक्रम में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्य मानवाधिकार आयोगों के सदस्य, सरकारी अधिकारी, एनजीओ, मानवाधिकार कार्यकर्ता और अकादमिक जगत के लोग भी उपस्थित थे। सम्मेलन में भारत की वैश्विक मानवाधिकार प्रतिबद्धता पर भी ज़ोर दिया गया, और बताया गया कि भारत को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में 2026-28 के लिए निर्विरोध चुना गया है।

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