कोलकाता : इस बार कोलकाता में उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों में मतदान करने के लिए उत्सुकता नजर आई है। ये छात्र पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे और उनका मानना है कि छात्र समुदाय और बड़े पैमाने पर समाज से जुड़े वास्तविक मुद्दे सुलझाने का यही तरीका है। छात्रों ने इस मौके कि ‘लोकतंत्र के त्योहार’ से मुंह मोड़ने का मतलब होगा कि विश्वविद्यालयों के कामकाज में गतिरोध, भर्ती घोटाले और भोजन, आश्रय एवं आजीविका की बुनियादी जरूरतों से जुड़े मुद्दे राजनीतिक रूप से ठंडे बस्ते में चले जाएंगे।
मतदान को लेकर छात्रों ने कहा कि…
बता दें कि पहली बार वोट करने वाली मध्य कोलकाता के प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय की छात्रा ऋतुश्री ने संवाददाताओं से कहा ‘मुझे लगता है कि मेरा वोट बदलाव ला सकता है।’ विश्वविद्यालय के एक अन्य छात्र कौस्तव डे ने कहा ‘बड़े राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों को भूल जाइये। यदि आप देखें कि शिक्षा क्षेत्र किस दिशा में आगे बढ़ रहा है तो मुझे लगता है कि हमें एक ऐसे प्रतिनिधि को चुनकर अपना योगदान देना चाहिए, जो बदलाव लाए, जिसके माध्यम से संस्थागत स्वायत्तता बहाल की जा सके और समुदाय के मुद्दों से निपटने के लिए छात्र निकाय चुनाव फिर से कराए।’ छात्रों ने एसएससी नौकरी संकट और दलों की असंवेदनशील राजनीतिक बयानबाजी जैसे मुद्दों को भी वोट देने की उनकी प्रतिबद्धता के अहम कारण बताया है। यादवपुर विश्वविद्यालय में स्नातक अंतिम वर्ष की छात्रा जॉयद्रिता ने भ्रष्टाचार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों सहित सामाजिक ध्रुवीकरण और सरकारी विफलताओं से निपटने के लिए मतदान के महत्व पर जोर दिया।