

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : ईडी, कोलकाता जोनल कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत जानेमाने एक स्टील ग्रुप के खिलाफ मामले में 296.28 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से अटैच किया है। इन संपत्तियों में बंगाल, ओडिशा और झारखंड में स्थित कुल 195 संपत्तियां, जिनमें आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियां, जमीन आदि शामिल हैंए इन्हें अटैच किया गया है। ये संपत्तियां 34 संबद्ध संस्थाओं, जैसे शेल कंपनियां, कर्मचारी आदि के नाम पर हैं, लेकिन वास्तव में ये ग्रुप से संबंधित हैं। ईडी ने कोलकाता में सीबीआई, बीएसएफबी द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत थी। सीएसपीएल और इसके प्रवर्तकों/निदेशकों ने धोखाधड़ी गतिविधियों में लिप्त थे, जिसमें फंड का दुरुपयोग/हस्तांतरण, फर्जी स्टॉक स्टेटमेंट जमा करना, वित्तीय हेराफेरी आदि शामिल थे। आरोपियों ने बैंकों के संघ से टर्म लोन, कैश क्रेडिट, लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) सहित कई ऋण सुविधाएं हासिल कीं और बैंकों/वित्तीय संस्थानों को 6210.72 करोड़ रुपये (ब्याज को छोड़कर) का नुकसान पहुंचाया।
शेल संस्थाओं का जाल बनाया गया था
ईडी की जांच में पता चला कि शेल संस्थाओं का जाल बनाया था, ताकि बैंकों के संघ से प्राप्त ऋण फंड को हस्तांतरित और मनी लॉन्ड्रिंग किया जा सके। इन फंड का उपयोग व्यक्तिगत खर्चों और विभिन्न अचल संपत्तियों, जिनमें लाभकारी स्वामित्व वाली संपत्तियां शामिल हैं, को खरीदने में किया गया। इससे पहले, जांच के दौरान 31 जनवरी, 2025 को 210.07 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से अटैच किया गया था।