दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने खो-खो चैंपियन बनकर बंगाल का नाम किया रोशन

दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने खो-खो चैंपियन बनकर बंगाल का नाम किया रोशन
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हुगली : चुंचुड़ा के मिलन पल्ली के रहने वाले दिहाड़ी मजदूर के बेटे ने खो-खो चैंपियन बनकर जिला का नाम रोशन किया। बता दें कि सुमन बर्मन बचपन से ही खेल-कूद में काफी अच्छा रहा है। उसने अपने मोहल्ले के बाघाजतिन मैदान से खो-खो की शुरुआत की। वर्तमान में वह बंडेल के हरनाथ स्कूल मैदान में अभ्यास करता है। उसने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई टूर्नामेंट खेले हैं, कई पुरस्कार जीते हैं, लेकिन खो-खो के पहले विश्वकप में भारत की जीत का हिस्सा बनना उसके लिए सबसे खास है। बता दें कि दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में 13 से 19 जनवरी तक पहली बार खो-खो विश्वकप का आयोजन हुआ। इसमें पुरुषों की 20 और महिलाओं की 19 टीमें शामिल हुईं। भारत ने पुरुषों और महिलाओं दोनों ही वर्गों में चैंपियनशिप जीती। फाइनल में भारत ने नेपाल को 54-36 अंकों से हराकर ट्रॉफी अपने नाम की। इस ऐतिहासिक जीत में पश्चिम बंगाल के सुमन बर्मन ने भारतीय पुरुष टीम में प्रतिनिधित्व किया।

काफी संघर्ष भरा रहा सुमन का जीवन

सुमन बर्मन का जीवन बचपन से ही काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उसके लिए खेलने का जूता और पोशाक खरीदना मुश्किल था। वहीं ठीक से पेट भर खाना भी मुश्किल था, लेकिन उसी घर का सुमन अब खो-खो विश्वकप जीतकर देश का नाम रोशन कर चुका है। बेटे की इस उपलब्धि से सुमन बर्मन के माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू छलक रहे हैं। बताते चलें कि सुमन के पिता रामदेव बर्मन एक दिहाड़ी मजदूर हैं, जबकि मां सुजाता बर्मन घरों में काम करती है। परिवार में कुल पांच सदस्य हैं, दो बेटे और एक बेटी। सुमन खुद कॉलेज में पढ़ता है। परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण परिवार का गुजर-बसर बेहद मुश्किल हो गया था। इसके बावजूद सुमन के माता-पिता ने अपने बच्चों के खेल को हमेशा समर्थन दिया। फिर भी सुमन के माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा और आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करे।

सुमन के परिजनों ने कहा

सुमन के माता-पिता का कहना है कि हम बहुत गरीब हैं, इसलिए बच्चों को किसी और खेल में नहीं भेज सके। खो-खो ही उनकी दुनिया बन गया। आज बेटा विश्वकप विजेता बना है, अब शायद हमारी गरीबी भी दूर हो जाए, यही उम्मीद है। उन्होंने कहा कि मोहल्ले के लिए यह गर्व की बात है कि उनका बेटा विश्वकप विजेता, जब सुमन घर लौटेगा, तो पूरे मिलन पल्ली में जश्न होगा, बैंड-बाजे के साथ उसका भव्य स्वागत किया जाएगा। हालांकि मोहल्ला वाले उसके नौकरी की मांग कर रहे हैं।

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