पुराने लंबित मामलों का निपटारा करें पुलिस अधिकारी

कोलकाता पुलिस कमिश्नर का सख्त निर्देश
फाइल फोटो
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कोलकाता : लंबित मामलों के तेजी से निपटारे के लिए कोलकाता पुलिस कमिश्नर ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद हर मामले में तुरंत मुकदमा प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके लिए पुलिस अधिकारियों को सरकारी वकीलों के साथ बैठक कर आवश्यक कदम उठाने होंगे। साथ ही, बहुत पुराने उन मामलों में जहां जांच आगे नहीं बढ़ी है, उन्हें जरूरत पड़ने पर बंद करने का भी आदेश दिया गया है, लेकिन भविष्य में दोबारा जांच शुरू करने की व्यवस्था रखते हुए।

हाल ही में पुलिस कमिश्नर ने सभी थानों, जासूसी विभागों और लालबाजार के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। लालबाजार के अधिकारियों ने थाना प्रभारियों और खुफिया विभाग के अधिकारियों को बताया कि सर्वे में पाया गया है कि कई मामलों में पुलिस ने जांच पूरी कर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है, लेकिन उसके बाद विभिन्न कारणों से कोई आगे कार्रवाई नहीं हुई। लालबाजार का सख्त निर्देश है कि चाहे मामला कितना भी पुराना क्यों न हो, उसका निपटारा अनिवार्य रूप से करना होगा। इसके लिए उन मामलों में जहां चार्जशीट दाखिल होने के बाद प्रक्रिया रुकी हुई है, चार्ज फ्रेमिंग करानी होगी।

पुराने मामलों में चार्जफ्रेमिंग पर दिया जोर

देखा गया है कि आर्थिक अपराधों से लेकर दहेज उत्पीड़न तक कई मामलों में चार्ज फ्रेमिंग नहीं होती, जिससे मुकदमा प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाती। लालबाजार चाहता है कि हर पुराने मामले में चार्जशीट के बाद चार्ज फ्रेमिंग कराकर मुकदमा प्रक्रिया यानी गवाही ग्रहण शुरू हो और आरोपितों को सजा दिलाई जा सके। इसके लिए पुलिस अधिकारियों को अपने वरिष्ठ अधिकारियों और सरकारी वकीलों से चर्चा कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कई मामलों में थोड़े समय जांच के बाद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। ऐसे मामले महत्वपूर्ण नहीं होने के कारण शिकायतकर्ता भी आगे नहीं बढ़ाना चाहते। छोटी-मोटी चोरी से लेकर धोखाधड़ी, जालसाजी और यहां तक कि साइबर फ्रॉड के मामलों में भी यह प्रवृत्ति देखी गई है। लालबाजार ने थाना और जासूसी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर ऐसे मामलों को आगे चलाने की जरूरत नहीं है तो उन्हें बंद किया जा सकता है। ऐसे में पुलिस 'एफआरटी' (फाइनल रिपोर्ट ट्रू) या 'मिस्टेक ऑफ फैक्ट' दिखा सकती है। लेकिन इस स्थिति में भी ऐसी व्यवस्था रखनी होगी कि जरूरत पड़ने पर फाइल दोबारा खोलकर जांच शुरू की जा सके।

हाल ही में दो मामलों में आरोपी बरी हो गए। एक पोक्सो मामला और दूसरा मादक पदार्थ संबंधी मामला। दोनों ही मामलों में पुलिस आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाई। इस पर पुलिस अधिकारियों ने समीक्षा की। चर्चा हुई कि उन विशेष दो मामलों में क्या किया जाता तो सजा दिलाई जा सकती थी और भविष्य में किसी मामले में आरोपी बरी न हों, इसके लिए अधिकारियों को विशेष ध्यान रखने को कहा गया है।

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