घर को समझें अपना प्रेम-मंदिर : आचार्य सुधांशु महाराज

आचार्य सुधांशु महाराज
आचार्य सुधांशु महाराज
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : जब तक हम अपने जीवन और लक्ष्य को नहीं पहचानेंगे तब तक हम भटकते रहेंगे। भटकाव की स्थिति में हमारी समस्याएं जड़वत खड़ी की खड़ी ही रहती है।इस उबरना है तो गुरु के सान्निध्य व कृपा से अपने शरीर में स्थित तीन चक्रों को जागृत करने की जरूरत हैं।जब ये जागृत हो जाएंगे तो आपमें सृजनात्मकता और निर्भयता की शक्ति आ जाती है। जीवन में अनुशासन व नेतृत्व क्षमता आती है। हमारा चैतन्य जागृत हो जाता है।अपने घर को प्रेम-मंदिर समझना चाहिए।घर में माता-पिता को सम्मान देना चाहिए और उनसे आशीर्वाद पाने का प्रयास करना चाहिए। वे अपने बच्चों के लिए सुख-शान्ति और उन्नति के लिए तपते रहते हैं,प्रभु से प्रार्थना करते हैं। मां आपका पोषण करती है।आपके मांग को पहले ही पहचान जाती है।पिता सुबह से शाम तक दौड़ता है कमाने के लिए ताकि कोई आपको अभाव न हो।पिता घर के छत के पीलर होते हैं।माता-पिता के गुस्से को मत देखिए। देखना हो तो उनके गुस्से भी छिपे प्यार-दुलार को देखिए।

ये बातें विश्व जागृति मिशन ट्रस्ट के तत्वावधान में दिव्य पाठशाला में बोलते हुए आचार्य सुधांशु महाराज ने साइंस सिटी सभागार में कही।प्रात:कालीन प्रवचन में उन्होंने कहा कि आनंद हमारा मौलिक स्वभाव है।मनुष्य जीवन दुर्लभ है,यह मिला है तो आनंद पाने के लिए।आनंद स्वरूप ही तो परमात्मा है।जो जीवन मिला है उसके लिए प्रभु को धन्यवाद करना चाहिए।धन्यवाद का सरल मार्ग है प्रभु का स्मरण और भजन।

आप अपनी चेतना को परमात्मा से जोड़ेंगे तो मालूम होगा जो आपके पास है वह ईश्वर का प्रसाद है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमौख रामलाल नायक,प्रशांतजी, राधेश्याम गोयनका, इंदु-सुशील गोयनका,आरके मोदी,कमल सराफ,लक्ष्मण अग्रवाल,विजय लोहिया,दीपक मिश्र,राम कथावाचक पुरुषोत्तम तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

कार्यक्रम का संचालन दुर्गा व्यास ने किया। मौके पर धीरज अग्रवाल ने बताया कि दिव्य पाठशाला के अलावा शनिवार को रक्तदान शिविर व सुन्दर काण्ड पाठ का आयोजन किया गया है।

अंधेरे से प्रकाश की ओर बढ़े हमारा कदम : आचार्य सुधांशु महाराज

चेहरे पर प्रसन्नता लिए और प्रभु की कृपाओं का स्मरण करते हुए उन्हें धन्यवाद देना चाहिए।प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि इस संसार में मेरा जो कर्तव्य हैं ,उसे पूरा करने की शक्ति दीजिए।वंसत में जिस तरह पुराने पत्ते झड़ते हैं,नये पत्ते आते हैं और नये फूल खिलते हैं।इसी तरह हम अपने जीवन में नया वंसत लाए,जो हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले चलें।भटकाव,अज्ञानता और जहां रास्ते खो जाते हैं वही अंधेरा है।विवेक का उदय,ज्ञान और जहां रास्ता दिखाई देता है,वही प्रकाश है।हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।हमें उन विचारों को लेकर न चलें जो हमें अंधेरे की ओर ले जाता हो।

जीवन है तो प्रतिदिन श्रेष्ठ बनने की कोशिश करनी चाहिए।प्रभात के जागरण के साथ आपका विचार भगवान के लिए होना चाहिए।पहला कदम भगवान की राह की ओर होना चाहिए।रात में सोते समय भगवान को कृतज्ञता प्रकट करना चाहिए।100वर्ष श्रेष्ठ जीवन जीना चाहिए।मतलब इन वर्षों में हम आरोग्यता को प्राप्त करें।आत्मनिर्भर बनें।पारिवारिक प्रसन्नता बनी रहें।समाज में प्रतिष्ठित है।राष्ट्र के प्रति आपकी निष्ठा बनी रहें।अंत तक प्रभु का साथ होना चाहिए। जीवन का रंग वैसा ही है जैसा हमारा संग है।

संग से रंग और रंग से जीवन का ढंग बन जाता है। स्वर्ग है वह घर जहां एकता की शक्ति है,ईश्वर की भक्ति है,दुर्भावों से विरक्ति है,गुरुवचनों में अनुरुक्ति है,और मुंह से केवल गुरुकृपा निकल रहा हो। ये बातें विश्व जागृति मिशन ट्रस्ट के तत्वावधान में दिव्य पाठशाला में बोलते हुए आचार्य सुधांशु महाराज ने साइंस सिटी सभागार में कही। इस अवसर पर राधेश्याम गोयनका,पद्मश्री से सम्मानित प्रह्लाद अग्रवाल, इंदु-सुशील गोयनका,गोपाल भरतिया,संजय गोयनका, सुभाष मुरारका, निशा ढांढनिया,अनिता जायसवाल, किशन केजरीवाल, मनीष बजाज सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन दुर्गा व्यास ने किया। मौके पर धीरज अग्रवाल ने बताया कि दिव्य पाठशाला के अलावा शुक्रवार को पुराने शिष्यों से साक्षात्कार और शनिवार को रक्तदान शिविर व सुन्दर काण्ड पाठ का आयोजन किया गया है।

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