डीए पर राज्य सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता: रिपोर्ट

छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट में खुलासा
डीए पर राज्य सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता: रिपोर्ट
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कोलकाता: बकाया महँगाई भाता (डीए) को लेकर लंबे समय से चल रही बहस के बीच राज्य सरकार ने बुधवार को अर्थशास्त्री अभिरूप सरकार की अध्यक्षता वाले छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की। यह रिपोर्ट राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश पर 1 जुलाई से पहले सार्वजनिक की है। छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट वर्ष 2015 में प्रकाशित हुई थी। उस समय कहा गया था कि केंद्र सरकार के वेतन आयोग के अनुसार डीए देने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन फिर इस रिपोर्ट को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। इसमें बताया गया है कि सरकारी कर्मचारियों को उनके ग्रेड के हिसाब से कितना पैसा मिलेगा। साथ ही यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केंद्रीय दर पर डीए देना राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य नहीं है। राज्य सरकारें अपने हिसाब से डीए दे सकती हैं। कुल 197 पन्नों की इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार को केंद्र के समान दर पर डीए देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट की पृष्ठ संख्या 131 पर अंक 12.4 में उल्लेख किया गया है कि ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर डीए देना अनिवार्य नहीं है। यह संकेत देता है कि निकट भविष्य में डीए की मांगों को लेकर सरकार का रुख परिवर्तन की संभावना कम ही है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्देश दिया था कि बकाया डीए का 25% राज्य सरकार कर्मचारियों को 27 जून तक भुगतान करे, लेकिन बुधवार शाम तक इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई। इस माहौल में नवान्न के गलियारे में अटकलों का बाजार गर्म है कि राज्य सरकार डीए को लेकर अधिसूचना बिल्कुल अंतिम समय में जारी कर सकती है। ऐसे में 26 या 27 जून (रथयात्रा की छुट्टी के बावजूद) को अधिसूचना जारी होने की संभावना है।

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