फरार अपराधियों के प्रत्यर्पण : चुनौतियां और रणनीतियां’ पर CBI सम्मेलन

अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने का संकल्प
फरार अपराधियों के प्रत्यर्पण : चुनौतियां और रणनीतियां’ पर CBI सम्मेलन
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नेहा, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : CBI द्वारा 16 और 17 अक्टूबर 2025 को भारत मण्डपम में ‘फरार अपराधियों की प्रत्यर्पण: चुनौतियां और रणनीतियां’ विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन माननीय केंद्रीय गृह एवं सहयोग मंत्री श्री अमित शाह ने 16 अक्टूबर को किया।

अमित शाह ने सम्मेलन में सभी एजेंसियों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया ताकि विदेशों में छिपे फरार अपराधियों को भारत लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सके। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि प्रत्यर्पण के सभी अनुरोधों की जांच के लिए एक विशेष सेल का गठन किया जाए, जो इन्हें विदेश की संबंधित एजेंसियों को भेजने से पहले उनका विस्तृत मूल्यांकन करे।

इस सम्मेलन के आयोजन का आधार जुलाई 2025 में गृह मंत्री द्वारा फरार अपराधियों को वापस लाने के लिए समन्वित रणनीति अपनाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता जताना था। CBI को इस संदर्भ में फरार अपराधियों को समयबद्ध तरीके से लाने के लिए कानूनी और राजनयिक उपायों पर चर्चा करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित करने का दायित्व दिया गया था।

सम्मेलन में 45 राज्य एवं केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के 200 से अधिक अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें गृह मंत्रालय (MHA) और विदेश मंत्रालय (MEA) के अधिकारी भी शामिल थे। इन अधिकारियों ने फरार अपराधियों को खोजने, उन्हें वापस लाने और कानूनी प्रक्रियाओं से जुड़ी चुनौतियों पर गहन चर्चा की।

सम्मेलन में MEA, MHA, प्रवर्तन निदेशालय (ED), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), वित्तीय खुफिया इकाई (FIU), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), NTRO, DRI, CBDT, मुंबई पुलिस, INTERPOL और CBI जैसे 25 पैनलिस्टों ने भाग लिया। उन्होंने विदेशों से सहयोग प्राप्त करने के तरीकों, तकनीक के उपयोग, प्रत्यर्पण की रणनीति और फरार अपराधियों के वित्तीय लेन-देन के विश्लेषण पर प्रस्तुति दी।

सम्मेलन में नारकोटिक्स, आतंकवाद, साइबर अपराध, संगठित अपराध और वित्तीय अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया। फरार आर्थिक अपराधियों अधिनियम (Fugitive Economic Offenders Act) के प्रावधानों पर चर्चा की गई ताकि वैश्विक संपत्तियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा सके। एक सत्र में फरार अपराधियों के धन के प्रवाह को निशाना बनाने और मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी तंत्र का उपयोग करने पर भी विस्तार से चर्चा हुई। साथ ही EGMONT और ARIN-AP जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर आपराधिक धन के स्रोतों का पता लगाने की प्रक्रिया पर विचार किया गया। नए INTERPOL सिल्वर नोटिस के बारे में भी जानकारी दी गई, जो आपराधिक संपत्तियों को ट्रैक करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक सदानंद डेते ने नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों, विशेषकर Trial in Absentia (अनुपस्थिति में मुकदमा) पर चर्चा की, जो फरार आरोपियों के खिलाफ उपयोगी साबित हो सकते हैं।

CBI के निदेशक प्रवीण सूद ने विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाने और डेटाबेस साझा करने की जरूरत पर जोर दिया ताकि फरार अपराधियों के खिलाफ अभियानों में अधिक समन्वय स्थापित किया जा सके।

गृह सचिव गोविंद मोहन ने सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस दो दिवसीय सम्मेलन की चर्चाएं भविष्य की रणनीति के लिए रोडमैप तैयार करेंगी। उन्होंने कहा कि हमें अपने दस्तावेजों को बेहतर बनाना होगा ताकि हमारे प्रत्यर्पण अनुरोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी कड़ी परीक्षा में सफल हो सकें। गृह विभाग की ओर से फरार अपराधियों को वापस लाने के लिए उठाए जा रहे कदमों और पहलों की भी जानकारी दी गई।

इस अवसर पर CBI के 35 अधिकारियों को राष्ट्रपति पदक (President’s Medal for Distinguished Service और Medal for Meritorious Service) से भी सम्मानित किया गया। सम्मेलन का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि आपराधिक मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत किया जाएगा और प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी एवं कुशल बनाया जाएगा।

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