कोलकाता : पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर पूरा देश शोकसंतप्त है। इस दौरान सन्मार्ग परिवार ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उनकी आत्मा को शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करे।
यहां उल्लेख करना जरूरी है कि बुद्धदेव बाबू का सन्मार्ग के प्रति गहरा लगाव था। वामपंथी शासनकाल के दौरान मीडिया से खास बातचीत कम ही होती थी। अधिकांश समय प्रेस कांफ्रेस कोई वरिष्ठ मंत्री संबोधित करते थे। मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य गिने चुने अवसरों पर ही मीडिया से मुखातिब होते थे।
यह वह समय था जब बंगला में आनंद बाजार व अंग्रेजी में द स्टेट्समैन का बोलबाला था। पर अलग से समय बुद्धदेव बाबू इन अखबारों के बड़े पत्रकारों को भी नहीं देते थे लेकिन उन्होंने सन्मार्ग को उस दौर में भी वह समय दिया जो किसी अखबार या पत्रकार को कम ही मिला था। उन्होंने पहली मुलाकात में 10 मिनट का समय दिया लेकिन जब बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो वह थमा नहीं और लगभग आधा घंटा बात होती रही। उन्होंने हिन्दी भाषी समाज की जरूरतों को बहुत इत्मिनान से सुना और उस पर कार्रवाई भी की। इसके बाद तो मिलने जुलने का सिलसिला कभी नहीं थमा। उन्हें सन्मार्ग से खास लगाव था तथा बीच-बीच में वे यहां की खबर भी लेते थे। वे हिन्दी समझ लेते थे लेकिन बोल नहीं पाते थे और लिखना तो उन्हें बिल्कुल भी नहीं आता था लेकिन हर भाषा के लिए उनके मन में बड़ा सम्मान था। सन्मार्ग के प्रेरणास्त्रोत व यशस्वी संपादक स्वर्गीय राम अवतार गुप्त को बुलाकर उन्होंने मुलाकात की तथा स्व. गुप्त ने सीएम को अपने काम को आगे बढ़ाए रखने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में सहायता राशि भी दी थी। माध्यमिक के प्रश्न पत्र हिन्दी में देने की मांग पर भी उनका सकारात्मक रूख था।