

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : तुर्की का इस्तांबुल जो कि पर्यटकों की कभी ड्रीम डेस्टिनेशन लिस्ट में हुआ करता था, अब वह बहिष्कार वाली लिस्ट में आ गया है। इसका कारण है तुर्की का पाकिस्तान के लिए प्रेम। तुर्की, जो एक लोकप्रिय अवकाश गंतव्य था, अब कोलकाता के पर्यटकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। भारत और पाकिस्तान के हालिया तनाव के दौरान तुर्की सरकार द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद कोलकाता के कई पर्यटकों ने तुर्की की अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं, भले ही उन्हें फ्लाइट टिकट रद्द करने की फीस के रूप में नुकसान उठाना पड़ा हो। ट्रैवल एजेंट्स और टूर ऑपरेटर्स ने तुर्की और अजरबैजान का बहिष्कार करने की घोषणा की थी, और शहर के सैकड़ों पर्यटकों ने स्वेच्छा से इस्तांबुल की अपनी छुट्टियों को रद्द कर दिया।
दुर्गापूजा में जाने वाले कई पर्यटकों ने चुना अन्य गंतव्यों को
इस गर्मी और आगामी दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता से तुर्की पर्यटन को होने वाले कुल नुकसान का अनुमान 60-75 करोड़ रुपये है। इस बारे में ट्रैवेल एजेंट्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया, ईस्ट के चेयरमेन व एयरकॉम ट्रैवेल्स के डायरेक्टर अंजनी धानुका ने बताया कि जून के पहले सप्ताह में इस्तांबुल समेत कई गंतव्यों की यात्रा के लिए बुक किए गए आठ लोगों के एक परिवार समूह ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी, जिसके लिए उन्हें प्रति टिकट लगभग 15,500 रुपये का नुकसान हुआ। कोलकाता के लगभग सभी ट्रैवल एजेंट्स की यही कहानी है। हमने सोचा था कि हम तुर्की और अजरबैजान को बढ़ावा देना बंद करेंगे, लेकिन ग्राहकों ने पहले ही इन गंतव्यों की यात्रा न करने का फैसला कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, लगभग 1,500 पक्की बुकिंग्स को ग्राहकों ने रद्द कर दिया है। दुर्गा पूजा के दौरान भी तुर्की को इतनी ही संख्या में बुकिंग्स का नुकसान होने की संभावना है। तुर्की सरकार के पाकिस्तान समर्थन के अलावा, कुछ लोग भारत सरकार द्वारा तुर्की के खिलाफ भविष्य में उठाए जा सकने वाले कदमों को लेकर भी अनिश्चित थे, जिसके कारण वे मुश्किल में पड़ सकते हैं। हालांकि भारत ने अभी तक तुर्की के लिए उड़ानों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन तुर्की की कंपनी सिलेबी, जो हवाई अड्डे पर ग्राउंड सर्विसेज प्रदान करती है, की सुरक्षा मंजूरी रद्द होने से कई लोग चिंतित हैं।
2.7 लाख भारतीयों ने तुर्की की यात्रा की थी
तुर्की अपनी पूर्वी और पश्चिमी संस्कृतियों के संगम, खूबसूरत स्थानों, मित्रवत लोगों, आतिथ्य, किफायती कीमतों और शानदार कनेक्टिविटी के कारण लोकप्रिय है। पिछले साल लगभग 2.7 लाख भारतीयों ने तुर्की की यात्रा की, जो पिछले साल की तुलना में 20% अधिक है लेकिन कैंसिलेशन लहर के बाद, ट्रैवल ट्रेड समुदाय के प्रमुख संगठन अनुमान लगा रहे हैं कि अगर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन जल्द ही भारत सरकार के साथ संबंध सुधार नहीं करते, तो यह संख्या आधी से भी कम हो सकती है। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टाई) ने एक सप्ताह पहले तुर्की और अजरबैजान का बहिष्कार करने का फैसला किया था, जब तुर्की के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था। तुर्की ने भूकंप के बाद भारत की उदारता के लिए उसे 'दोस्त' कहा था लेकिन जब भारत ने पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर संयमित और सुनियोजित हमला किया, तो तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन करके भारत को पीठ में छुरा घोंपा।"
ट्रैवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (टाफी) ने भी घोषणा की है कि वह तुर्की का समर्थन नहीं करेगा और वैकल्पिक गंतव्यों को बढ़ावा देगा। टाफी के प्रबंध समिति के सदस्य अनिल पंजाबी ने कहा कि पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर बर्बर हमले की निंदा करने या सहानुभूति और शोक व्यक्त करने के बजाय, तुर्की ने इस जघन्य अपराध के अपराधियों और समर्थकों के साथ खड़े होने का फैसला किया है। तुर्की भारतीय पर्यटकों से अच्छी कमाई करता है, लेकिन उन्होंने हमारे खिलाफ रुख अपनाया, जिसके बाद हमने फैसला किया है कि हमें भारत से तुर्की की यात्रा का बहिष्कार करना चाहिए। जिसका नतीजा यह हुआ कि, 70 प्रतिशत से अधिक यात्राएं रद्द हो गईं।