3-5 साल से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या में तीसरे स्थान पर बंगाल

3-5 साल से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या में तीसरे स्थान पर बंगाल
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नेहा, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की “प्रिजन स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2023” रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल 3 से 5 साल तक जेल में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है।

रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में 1,921 विचाराधीन कैदी (undertrials) 3 से 5 साल से जेल में बंद हैं — इनमें 1,816 पुरुष और 105 महिलाएं शामिल हैं। यह देशभर के कुल 23,006 विचाराधीन कैदियों का 8.3% हिस्सा है। इस श्रेणी में उत्तर प्रदेश (5,474) पहले और महाराष्ट्र (3,823) दूसरे स्थान पर हैं।

इसके अलावा, बंगाल में 1,245 कैदी ऐसे हैं जो 5 साल से अधिक समय से जेल में हैं — इनमें 1,157 पुरुष और 88 महिलाएं हैं। यह देशभर के कुल 10,392 विचाराधीन कैदियों का 12% है। इस श्रेणी में भी उत्तर प्रदेश (2,639) पहले और महाराष्ट्र (2,213) दूसरे स्थान पर है।

राष्ट्रीय प्रवृत्ति के अनुरूप, बंगाल में भी विचाराधीन कैदियों की संख्या दोषियों (convicts) से अधिक है — राज्य में 20,294 विचाराधीन कैदी और 4,941 दोषी कैदी हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 1,08,267 विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा किया गया, 1,229 को निचली अदालतों ने बरी किया, 3,003 को उच्च अदालतों ने अपील पर रिहा किया, और 62 कैदियों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित किया गया

राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 12,20,626 लंबित आपराधिक मामले हैं। इनमें से 5,14,177 मामले अधिवक्ता (वकील) की अनुपलब्धता के कारण, 3,02,455 मामले आरोपी के फरार होने के कारण, और 50,685 मामले दस्तावेजों के अभाव के कारण लंबित हैं।

राज्य की जेलों की औसत क्षमता से 120% अधिक भीड़ होने के कारण यह स्थिति और गंभीर हो गई है। बंगाल की 60 जेलों में 8 सेंट्रल जेल, 13 जिला जेल, 30 उप-जेल, 1 महिला जेल, और 4-4 ओपन व स्पेशल जेल हैं।
सबसे ज्यादा भीड़ उप-जेलों में है — जहां क्षमता 2,428 है लेकिन कैदी 4,293 हैं (176.8% क्षमता दर )। इसके बाद जिला जेलों में 3,818 की क्षमता के मुकाबले 6,051 कैदी हैं (158.5% क्षमता दर)। महिला जेल की स्थिति भी खराब है, जहां क्षमता दर 110% है।

राज्य में CrPC की धारा 436A के तहत (वे विचाराधीन कैदी जिन्होंने अपने अपराध की सजा के आधे से अधिक समय जेल में काट लिया है) 69 कैदी रिहाई के पात्र थे, लेकिन साल 2023 में केवल 17 को ही रिहा किया गया

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 18 सितंबर को घोषणा की थी कि 2011 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे 840 कैदी, जिन्होंने 14 साल से अधिक समय जेल में बिताया है, उन्हें रिहा किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में 2,549 आजीवन कारावास भुगतने वाले कैदी हैं।

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