

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : शुक्रवार को बैंकॉक में कोलकातावासी हैरान रह गए, जब यह शहर, जो खरीदारी और आराम के लिए जाना जाता है, एक शक्तिशाली भूकंप के बाद बदल गया। थाई राजधानी में आए इस भूकंप ने निर्माणाधीन ऊंची इमारतों को मलबे में तब्दील कर दिया और ढहती इमारतों में लोग फंस गए। झटकों से परेशान और डरे हुए ऊंची इमारतों के निवासी सड़कों पर जमा हो गए, चिंतित होकर आफ्टरशॉक्स का इंतजार करने लगे, जबकि थाई सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए आपातकाल घोषित कर दिया।
उड़ानों का किराया तीन गुना
ट्रैवेल एजेंट्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया, ईस्ट के चेयरमेन व एयरकॉम ट्रैवेल्स के डायरेक्टर अंजनी धानुका ने बताया कि कोलकाता वासियों के लिए बैंकॉक दूसरा घर है। यहां से वहां के लिए प्रतिदिन 6 से 7 उड़ानें हैं और यात्रियों की संख्या भी सबसे अधिक है। हम वहां गये पर्यटकों से संपर्क में हैं। अब कोशिश की जा रही है कि उनकी वापसी हो। भूकंप के कारण उड़ानों के किराये में लगभग तीन गुना वृद्धि हो गयी है। कोलकाता और बैंकाक के बीच का किराया जो 10 हजार से 12 हजार हुआ करता था अब वह 30 से 32 हजार हो गया है। वहीं बैंकॉक से मुम्बई आने का किराया 40 से 50 हजार तक पहुुंच गया है। हमें उम्मीद है कि जल्द स्थिति सामान्य होगी।
कोलकाता के डायमंड हार्बर रोड पर सीएमआरआई अस्पताल के सामने एक ऊंची इमारत में रहने वाले व्यवसायी संजय चौबे अपनी पत्नी सुलोचना के साथ काम के सिलसिले में बैंकॉक में थे। वे मध्य बैंकॉक के प्रातुनाम में प्लेटिनम मॉल से बाहर निकल रहे थे, तभी रास्ता जोर से हिलने लगा और सुलोचना घुटनों के बल गिर पड़ीं। सुलोचना ने बताया, "एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं बीमार हो गई हूं और मुझे बहुत चक्कर आ रहा है। लेकिन फिर मैंने देखा कि सिर्फ मैं ही नहीं, सब प्रभावित हैं, तब मुझे एहसास हुआ कि यह भूकंप है। हर कोई कुछ पकड़ने की कोशिश कर रहा था।"
संजय ने फिर देखा कि एक ऊंची इमारत के इनफिनिटी स्विमिंग पूल से पानी झरने की तरह नीचे गिर रहा था। उन्होंने कहा, "पूल के किनारे की मोटी दीवार टूट गई और सारा पानी बाहर बह गया। शुक्र है, उस वक्त पूल में कोई नहीं था।" भूकंप और उसके बाद 3-4 मिनट तक चले आफ्टरशॉक्स के कुछ मिनट बाद, इलाके की सभी व्यावसायिक और आवासीय इमारतों से लोग बाहर निकल आए और सड़कों पर भीड़ जमा हो गई। यातायात पूरी तरह ठप हो गया, स्काईट्रेन और अंडरग्राउंड सेवाएं भी बंद हो गईं। चौबे दंपति अपने सर्विस अपार्टमेंट, जो सुकुमवित सोई 20 में था, तक 3 किलोमीटर पैदल चले, लेकिन उन्हें रात 8 बजे तक बाहर ही इंतजार करना पड़ा, क्योंकि शाम को और तेज झटकों की आशंका थी।
ट्रैवल एजेंट गुरबानी गौतम, जो मूल रूप से भवानीपुर के हैं लेकिन पिछले दो दशकों से बैंकॉक में बसे हैं, पटाया सिटी से बैंकॉक लौट आए। वे वहां मई में आने वाले 800 सदस्यों के समूह के लिए होटल सुविधाओं का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने बताया, "मेरी पत्नी एक स्वास्थ्य केंद्र गई थी और वापसी में ट्रैफिक जाम में फंस गई। उसे हमारी बेटी को स्कूल से लेना था। चूंकि मैं बैंकॉक के बाहर था, इसलिए मुझे पहुंचना आसान हुआ और मैं उसे लेने गया।" गौतम सुवर्णभूमि हवाई अड्डे के पास रहते हैं। उनकी पत्नी नथिनी शुक्रवार देर रात तक ट्रैफिक जाम में फंसी रहीं।
वहीं ट्रैवेल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया कमेटी मेम्बर, ईस्टर्न इंडिया के अनिल पंजाबी ने बताया कि बैंकॉक में भूकंप इतना तेज था कि वहां ऊंची इमारतें हिल गईं और लोग दहशत में इमारतों से बाहर निकल आए। हम लगातार वहां की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बैंकॉक के दो प्रमुख एयरपोर्ट सुवर्णभूमि और डॉन मुआंग पर भी प्रभाव पड़ा। भूकंप के बाद संभावित आफ्टरशॉक्स के खतरे को देखते हुए दोनों हवाई अड्डों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया और यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। सुवर्णभूमि एयरपोर्ट ने भूकंप के लगभग दो घंटे बाद घोषणा की कि वह सामान्य रूप से संचालन कर रहा है, लेकिन शुरुआती तौर पर उड़ानें रोक दी गई थीं। डॉन मुआंग एयरपोर्ट पर भी उड़ानों को निलंबित कर दिया गया था। इस दौरान यात्रियों में अफरा-तफरी का माहौल देखा गया, क्योंकि कई उड़ानें रद्द हुईं और लोग हवाई अड्डों पर फंस गए। बैंकॉक में मेट्रो और सबवे सेवाएं भी अस्थायी रूप से बंद कर दी गईं, जिससे शहर में यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई।
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