

केडी पार्थ, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच कथित ‘सेटिंग थ्योरी’ को लेकर उठ रहे सवालों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त रुख अपनाया है। सार्वजनिक मंच से लेकर बंद कमरे की बैठकों तक शाह ने इस नैरेटिव को पूरी तरह खारिज करते हुए बंगाल बीजेपी नेतृत्व को साफ संदेश दिया कि पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों के मन से इस भ्रम को जल्द से जल्द दूर किया जाए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘सेटिंग थ्योरी’ पर दो टूक
मंगलवार की सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘सेटिंग थ्योरी’ से जुड़े सवाल पर अमित शाह ने कहा कि जो लोग घुसपैठियों का समर्थन कर रहे हैं, उनसे बीजेपी का कोई रिश्ता नहीं हो सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी का उद्देश्य पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से हटाना है, न कि किसी तरह की अंदरूनी समझदारी।
बंद कमरे की बैठक में शाह का सख्त रुख
सूत्रों के मुताबिक, उसी शाम राज्य बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ हुई बंद कमरे की बैठक में भी ‘सेटिंग’ का मुद्दा उठा। इस पर शाह ने नाराजगी जताते हुए कहा, “अगर सेटिंग है, तो बंगाल में इतने सेंट्रल ऑब्जर्वर क्यों हैं? हम बार-बार दिल्ली से यहां क्यों आ रहे हैं?”
कार्यकर्ताओं से भ्रम दूर करने का निर्देश
अमित शाह ने राज्य नेताओं को निर्देश दिया कि वे पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं और आम लोगों के मन से ‘सेटिंग’ को लेकर फैली गलतफहमी को जल्द दूर करें। उन्होंने कहा कि चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचा है और संगठन की कमजोरियों पर ध्यान देना जरूरी है।
SIR और वोटर लिस्ट को लेकर चिंता
बैठक में बंगाल बीजेपी नेतृत्व के एक हिस्से ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की सुनवाई को लेकर चिंता जताई। नेताओं ने आशंका जाहिर की कि इस प्रक्रिया के कारण कई हिंदू बंगालियों के नाम वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं, जिससे 2026 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है।
RSS नेताओं से अलग बैठक
सूत्रों के अनुसार, उसी रात अमित शाह ने एक अलग होटल में RSS की विभिन्न शाखाओं के नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें कई केंद्रीय बीजेपी नेता मौजूद थे। हालांकि, इस बैठक में राज्य के किसी भी बीजेपी नेता को शामिल नहीं किया गया।