
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन (ऑल इण्डिया मारवाड़ी फेडरेशन) समग्र मारवाड़ी समाज की सबसे पुरानी सामाजिक संस्था है, जिसकी स्थापना 25 दिसम्बर 1935 को कोलकाता में हुई थी। इसकी स्थापना में मुख्य भूमिका निभाने वाले सम्मेलन के प्राण पुरुष स्व. ईश्वर दास जालान स्वतंत्र भारत में पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष रहे। अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की स्थापना ब्रिटिश काल में मारवाड़ी समाज को राजनीतिक अधिकार, समाज सुधार और विकास के लिए हुई थी। बाल विवाह, पर्दा प्रथा, दहेज जैसी कुरीतियों को खत्म करने, विधवा विवाह, बालिका शिक्षा और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने में सम्मेलन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आज मारवाड़ी समाज हर क्षेत्र में अग्रणी है। हालांकि, कुछ स्वार्थी तत्व सम्मेलन के नाम से मिलती-जुलती संस्थाएं बनाकर समाज को भ्रमित और बांटने की कोशिश कर रहे हैं। कई ऐसे लोग सम्मेलन से निष्कासित हैं और ईर्ष्या-स्वार्थ से प्रेरित हैं। सम्मेलन ने इन कुत्सित प्रयासों की कड़े शब्दों में निंदा की और समाज से एकजुट रहने की अपील की। अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की शीर्ष सलाहकार समिति की आवश्यक बैठक समिति के चेयरमैन तथा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में समिति के संयोजक आत्माराम सोंथलिया, आगामी निर्वाचित अध्यक्ष पवन गोयनका, पूर्व राष्टीय अध्यक्षगण नन्दलाल रुंगटा, हरि प्रसाद कनोडिया, पद्मश्री प्रह्लाद राय अग्रवाल उपस्थित थे।
बैठक में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि समाज को तोड़ने वालों के ऐसे किसी भी कुत्सित प्रयासों की सम्मेलन न सिर्फ निन्दा करता है बल्कि आवश्यकता अनुसार विधि विशेषज्ञों से सलाह लेकर आवश्यक कानूनी कार्यवाही तथा अनुशासनात्मक कदम उठाये जायेंगे। साथ ही समग्र मारवाड़ी समाज से संगठित रहने, ऐसे घृणित प्रयासों को रोकने हेतु प्रयास करने तथा बहिष्कार करने के आह्वान तथा समाज को ऐसे तत्वों से सचेत रहने का अनुरोध किया गया।