सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : चीनी दार्शनिक लाओजी ने कहा था, "चाय पारस पत्थर है।" वाकई, चाय के एक प्याले में पंचभूत (पांच तत्व) जीवंत हो उठते हैं। इसी चमत्कारी पेय को समर्पित है अलीपुर सार्वजनीन की 80वीं दुर्गा पूजा की थीम – “चा-पान उतार”।
यह थीम हमें लेकर जाती है उत्तर बंगाल के हिमालयी ढलानों पर, जहां पन्ने जैसे हरे-भरे चाय बागान फैले हैं। देवी दुर्गा, जो स्वयं हिमालय की पुत्री उमा हैं, उनके स्वरूप को एक चाय बागान में काम करती महिला में ढूंढा गया है। यह महिला अपनी पीठ पर चाय की टोकरी और गोद में सोए बच्चे के साथ दिखाई देती है – ठीक वैसे ही जैसे मां दुर्गा की गोद में नन्हे गणेश होते हैं। इस अनूठे पंडाल को तैयार करने में 150 से अधिक कलाकारों और कारीगरों ने योगदान दिया है। खास बात यह है कि इसमें किसी तरह के ग्रैफिक्स या डिजिटल तकनीक का प्रयोग नहीं किया गया।
पूरा पंडाल शुद्ध हस्तकला और कलात्मक दृष्टिकोण का जीवंत उदाहरण है। इस शानदार रचना की संकल्पना प्रसिद्ध आर्टिस्ट अर्निबान की है। पंडाल का विशेष प्रीव्यू 22 सितंबर तक दर्शकों के लिए खुला रहेगा। समिति के विशेष सदस्य मनोज लुनिया ने बताया कि यह पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बंगाल की सांस्कृतिक विरासत, प्रकृति और मातृत्व की गहराई को अभिव्यक्त करने का एक प्रयास है। यह पंडाल निश्चित ही दर्शकों के दिलों को छू जाएगा।