

कोलकाता: टीएमसी के शीर्ष नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी का बहुचर्चित 'सेवाश्रय' का सफर आज संपन्न हो गया। पिछले 75 दिनों से बुजुर्ग निवासियों को उनकी दृष्टि वापस पाने में मदद करने से लेकर नाबालिगों के लिए जीवन रक्षक सर्जरी प्रदान करने तक, 'सेवाश्रय' ने लाखों लोगों के जीवन में खुशियां भर दीं। यह अपनी तरह की पहली पहल है, जिसे 2 जनवरी को सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा लॉन्च किया गया था। इन 75 दिनों में 70 दिन शिविर और 5 दिन के मेगा शिविर शामिल हैं। इस क्रांतिकारी पहल ने लोगों को घर-घर चिकित्सा सेवाएं प्रदान की और यह सुनिश्चित किया कि वित्तीय बाधाओं या दूरी के कारण किसी को भी स्वास्थ्य सेवा से वंचित न होना पड़े। 12.3 लाख से ज़्यादा लोगों तक पहुंचने वाले चिकित्सा शिविरों के साथ, 'सेवाश्रय' ने मुफ्त परामर्श, नैदानिक परीक्षण और जरूरी दवाइयाँ मुहैया कराई हैं। दूर-दराज के जिलों के लोगों ने भी इस पहल के जरिए देखभाल की मांग की है, जो सुलभ स्वास्थ्य सेवा के प्रभाव को उजागर करता है। डॉक्टरों, चिकित्सा पेशेवरों और स्वयंसेवकों ने लगभग तीन महीने तक अपने अथक प्रयासों को जारी रखा। इस तरह 'सेवाश्रय' करुणा का एक अनूठा उदाहरण बन गया है। अपने व्यापक शिविरों के माध्यम से, सेवाश्रय ने न केवल मुफ्त दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की, बल्कि महंगे नैदानिक परीक्षण, इमेजिंग सेवाएं और मोतियाबिंद सर्जरी और श्रवण सहायता जैसे उपचार भी सुनिश्चित किए। सूत्रों के अनुसार, 'सेवाश्रय' में कुल पंजीकरण 12,35,773, कुल 8,93,162 मरीजों के परीक्षण किए गए, कुल 11,22, 001 लोगों को दवाइयां दी गयीं, कुल रेफर किए गए मरीज की संख्या 6,476, नियमित शिविरों की कुल संख्या 291 तथा मेगा शिविरों की कुल संख्या 270 रही। इस संबंध में अभिषेक बनर्जी ने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया कि एक पुरानी कहावत है कि हर पर्दा गिरना चाहिए, हर शो खत्म होना चाहिए। आज, जब यह 75-दिवसीय यात्रा समाप्त हो रही है, तो इसका असली प्रभाव सामने आना शुरू हो गया है। सेवाश्रय ने बाधाओं को तोड़ कर निराशा और आशा के बीच की खाई को पाट दिया है।