

रांची : झारखंड में सभी 24 जिलों के गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने के मकसद से बाल संरक्षण संगठन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ (JRC) ने केंद्र सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ (BVMB) अभियान के तहत एक गहन रोकथाम कार्यक्रम शुरू करने की सोमवार को घोषणा की।
यह पहल JRC द्वारा देश भर में चलाए जा रहे एक राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है और अभियान का उद्देश्य एक वर्ष के भीतर देशभर के एक लाख गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाना है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-V के अनुसार, राज्य में बाल विवाह की दर 32.2 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत से काफी अधिक है।
संगठन ने एक बयान में कहा, भारत को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य को एक नयी और सशक्त गति प्रदान करते हुए, जेआरसी ने अगले एक वर्ष के भीतर एक लाख गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए एक गहन अभियान की घोषणा की है।
यह संगठन देश भर में 250 से अधिक गैर सरकारी संगठनों (NGO) का एक नेटवर्क है, जिसमें पूर्वी राज्य में कार्यरत 22 भागीदार शामिल हैं। इनमें से झारखंड के सभी 24 जिलों के गांवों में इससे रोकथाम के लिए चुना गया है।
यह घोषणा भारत सरकार के BVMB अभियान की पहली वर्षगांठ के अवसर पर की गई। इसकी वर्षगांठ पर सरकार ने 100 दिवसीय कार्य योजना शुरू की थी। जेआरसी ने दावा किया कि उसने पिछले वर्ष राज्य में 16,348 बाल विवाहों को रोका है।
राष्ट्रीय स्तर पर संगठन ने दावा किया कि उसने इसी अवधि के दौरान एक लाख से अधिक बाल विवाहों को रोका है। जेआरसी के अनुसार, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, गिरिडीह, पाकुड़, दुमका और कोडरमा जैसे जिलों में बाल विवाह की दर 40 प्रतिशत से अधिक है।
साहिबगंज, हजारीबाग, पलामू, लातेहार, चतरा और गढ़वा में 30 से 39.9 प्रतिशत दर दर्ज की गई है, जबकि चार अन्य जिलों में राष्ट्रीय औसत से अधिक दरें बताई गई हैं। जेआरसी के संस्थापक भुवन रिभु ने कहा, बाल विवाह मुक्त भारत के निर्माण में सामुदायिक समूहों, धार्मगुरुओं, पंचायतों और नागरिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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