बाघ को पकड़ने में 70 कैमरे, 7 टीमें और ड्रोन से निगरानी जारी

बाघ को पकड़ने में 70 कैमरे, 7 टीमें और ड्रोन से निगरानी जारी
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पुरुलिया जिले में ही छिपा है बाघ : वन अधिकारी
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : झारखंड से 3 दिन पहले बंगाल में प्रवेश करने वाला बाघ पिछले दो दिनों से पुरुलिया जिले के बंदवान रेंज की राइका पहाड़ियों में है। बाघ वहीं कहीं छिपा हुआ है। एक बाघ को पकड़ने में 70 कैमरे, 7 टीमें और ड्रोन से निगरानी जारी है मगर फिर भी पकड़ में नहीं आयी है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। मुख्य वन संरक्षक एस कुलंदैवेल ने कहा कि हमारी टीम को पूरे क्षेत्र में दिन में जानवर के ताजे पदचिन्ह नहीं मिले, जो यह संकेत देते हैं कि वह जंगल के भीतर काफी अंदर ठहरा हुआ है। पहाड़ी इलाका होने के कारण झाड़ग्राम के बेलपहाड़ी से लेकर बंदवान तक पूरे क्षेत्र में लगाए गए 70 से अधिक कैमरे उसकी गतिविधि को ठीक से कैद नहीं कर पाए। उन्होंने बताया कि हम ड्रोन का उपयोग करके निगरानी जारी रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि वन विभाग की 7 टीम क्षेत्र में निगरानी रख रही हैं।

इससे पहले बाघिन जीनत ने वनकर्मियों की उड़ा दी थी नींद : वन विभाग कर्मियों की पहले बाघिन जीनत ने नींद उड़ा दी थी। करीब आठ दिनों तक उसे पकड़ने में समय लगा था। बाद में जीनत जाल में फंसी। इलाज के लिए अलीपुर चिड़ियाखाना अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्वस्थ्य होने के बाद ओडिशा को सौंप दिया गया। जीनत को महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) से सिमिलीपाल में स्थानांतरित किया गया था ताकि बाघों की आबादी में नए जीन पूल को शामिल किया जा सके। सिमिलीपाल छोड़ने के बाद जीनत पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने से पहले मनबाजार और बंदवान के जंगलों से गुज़री और पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा की सीमाओं को पार करते हुए 120 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की। काफी प्रयासों के बावजूद बाघिन ने ट्रैप-डोर पिंजरों में चारा खाने से परहेज किया और इसके बजाय जंगल में भटकने वाली घरेलू बकरियों को मार डाला। ड्रोन का उपयोग करके निगरानी भी की गई, लेकिन घने जंगल ने निगरानी को चुनौतीपूर्ण बना दिया था।

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