सर्जना शर्मा
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने एक दशक में भारतवासियों के जीवन पर बहुत व्यापक असर डाला है। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान केंद्र ने देशव्यापी सर्वे में पाया कि 11 फीसदी से अधिक नागरिक हर रोज योग अभ्यास करते हैं। लगभग 50 फीसदी लोगों में योग के प्रति जागरूकता है। 33 फीसदी लोग योग के लिए सामुदायिक प्रयास करते हैं। शहरों में गांवों की तुलना में 45 फीसदी ज्यादा योग जागरूकता हैं। योग से संबंधित प्रकाशनों में भी पिछले एक दशक में बहुत वृद्धि हुई है। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रताप राव जाधव ने वैश्विक योग कनेक्ट कार्यक्रम के दौरान बताया कि योग प्रशिक्षित योगाचार्यों के लिए पूरी दुनिया में आर्थिक अवसर प्रदान कर रहा है। ये भारत की अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर दस सिग्नेचर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। 10 बड़े शहरों में योग संगम और योग महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना शुरू किया था। इस साल एक दशक पूरा हो जाएगा। अब दुनिया के 180 देश अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाते हैं। योग दिवस से एक सप्ताह पहले योग कनेक्ट कार्यक्रम में प्रताप राव जाधव ने कहा कि पूरी दुनिया में योग से लोगों के तन और मन की सेहत सुधरी है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि योग दिवस पूरी दुनिया को भारत की प्राचीन संस्कृति का अमूल्य उपहार है जो राष्ट्र धर्म राजनीति की सीमाओं से परे है। इस दिन दुनिया के करोड़ों लोग एक साथ योग करते हैं। योग धीरे धीरे भारत का आर्थिक मॉडल बन रहा है आने वाले समय में ये ऑरेंज अर्थव्यवस्था बन जाएगा। पिछले 11 साल में ये भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण हुआ है भारत का दुनिया में सम्मान और स्वीकार्यता बढ़ी है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का एक दशक पूरा होने और 11 वें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर 21 जून को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 लाख लोगों के साथ योग करेंगे। उनके साथ राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी होंगे।